टीआरपी डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वैश्विक महामारी की मजबूरी के कारण वर्चुअल सुनवाई की शुरुआत हुई, मगर यह ओपन कोर्ट सुनवाई जितनी ही अच्छी है। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने, जिसकी अध्यक्षता सीजेआई एसए बोबडे कर रहे थे, स्पष्ट किया कि वीडियो कांफ्रेंसिंग के जर‌िए अदालती कार्यवाही करने का फैसला चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद लिया गया है।

नीलाक्षी चौधरी नामक अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ओपेन कोर्ट सुनवाई बहाल करने का आग्रह किया था। याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई ने कहा, चिकित्सा कारणों के कारण एक वर्ष से अधिक समय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई हो रही है…स्‍थ‌िति की समीक्षा की जा रही है। चिकित्सा विशेषज्ञों की राय के आधार पर यह निर्णय लिया गया है।”

सीजेआई ने सुनवाई के दरमियान टिप्‍पणी की कि वर्चुअल सुनवाई के कारण महामारी के दौर में भी कार्य ने न्यायिक प्रणाली का काम करती रही। फिजिकल सुनवाई को फिर शुरू करने के साथ जुड़े जोखिमों की चर्चा करते हुए सीजेआई ने कहा, “क्या आप को पता है कि कई उच्च न्यायालयों ने फिजिकल सुनवाई शुरू किया था और बाद में रोक दिया।

उदाहरण के लिए, मद्रास उच्च न्यायालय में वकील फिजिकल सुनवाई के लिए नहीं आए।” सॉलिसिटर जनरल ने भी सीजेआई का समर्थन करते हुए कहा कि फिजिकल सुनवाई भी ‘ओपेन कोर्ट सुनवाई’ जैसी है। उन्होंने कहा, “याचिकाकर्ता यह भूल रही हैं कि इस प्रकार के विशाल देश में, अदालत एक दिन के लिए भी न्याय तक की पहुंच पर रोक नहीं लगाई। यह सलामी के काबिल है।”

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट COVID 19 की शुरुआत के बाद से पिछले साल मार्च से वर्चुअल मोड में काम कर रहा है। अगस्त में, सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ताओं की सहमति से प्रयोगात्मक आधार पर फिजिकल सुनवाई को दोबारा शुरू करने का फैसला किया था। फिजिकल सुनवाई के लिए 1000 मामलों को सूचीबद्ध किया गया था, हालांकि केवल मुट्ठी भर अधिवक्ताओं ने ही सहमति दी, जिसके चलते फिजिकल सुनवाई जोर नहीं पकड़ पाई।

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