पहली बार राजधानी बदलने का कार्यक्रम स्थगित

हिंसा और आतंक के दौर में कभी दरबार मूव परंपरा नहीं बदली

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में फिलहाल राजधानी बदलने का काम स्थगित कर दिया गया है। कोरोना के कारण सभी कर्मचारियों को कहा गया है कि जो भी जिस स्थान पर काम कर रहे हैं।

वहीं पर काम करें। हर साल अप्रैल में जम्मू में दरबार बंद करने से साथ समर कैपिटल श्रीनगर में काम शुरू किया जाता है। लेकिन इस बार इस प्रक्रिया को 15 जून तक के लिए टाल दिया गया है।

राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने इसे लेकर एक आदेश भी जारी किया है। इस आदेश के साथ ही राज्य में 150 साल पुरानी दरबार मूव की परंपरा भी बदल गई है।

बड़ी बात ये कि घाटी में तमाम मुश्किल हालातों हिंसा और आतंक के वक्त में भी इस प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ा था।

जम्मू-कश्मीर की भौगोलिक परीस्थितियों को देखते हुए हर साल अक्टूबर और अप्रैल महीनों में यहां की राजधानी बदली जाती रही है। इस परंपरा की शुरुआत साल 1872 में हुई थी।

जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राजा रणवीर सिंह ने इस व्यवस्था को लागू करते 6 महीने जम्मू और 6 महीने श्रीनगर से काम करने की व्यवस्था की थी।

अप्रैल में होती थी पूरी प्रक्रिया

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इस परंपरा के तहत हर साल अप्रैल महीने में करीब 800 वाहनों से जम्मू स्थित नागरिक सचिवालय से फाइलों और अन्य सामान को श्रीनगर भेजा जाता था।

वहीं अक्टूबर में बर्फबारी से पहले ये सारा सामान जम्मू में शिफ्ट किया जाता था। इस पूरी प्रक्रिया को दरबार मूव का नाम दिया गया था।

जून में फिर की जाएगी समीक्षा

इस साल सरकार ने परीस्थितियों को देखते हुए श्रीनगर सचिवालय के काम को तो 4 मई से शुरू कराने का फैसला कर दिया है, लेकिन कर्मचारियों को शिफ्ट करने की प्रक्रिया 15 जून तक टाल दी गई है।

सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव फारूक अहमद लोन ने कहा है कि सभी कर्मचारी फिलहाल जहां से काम कर रहे हैं, वह आगे भी वहीं से अपना काम करते रहें।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस साल श्रीनगर में सचिवालय खुलने के बावजूद जम्मू सचिवालय से कामकाज होता रहेगा।

हर साल दो बार होता है दरबार मूव

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में हर साल दरबार मूव की परंपरा को पूरा किया जाता है। इस परंपरा पर हर साल 600 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं।

इस परंपरा के तहत हर साल राजधानी बदलते हुए सरकारी कामकाज को दो क्षेत्रों से पूरा कराया जाता है। साथ ही कर्मचारियों के रहने के लिए श्रीनगर और जम्मू के कई होटल भी आरक्षित किए जाते हैं।

दरबार मूव के दौरान जम्मू-श्रीनगर हाइवे को बंद करके सचिवालय के सामान को 800 से अधिक वाहनों से जम्मू और श्रीनगर के बीच शिफ्ट कराया जाता है।