रायपुर। सोशल मीडिया में मतदान संबंधी सूचनाओं को मुख्य निर्वाचन अधिकारी सुब्रत साहू ने भ्रामक और तथ्यहीन बताया है। उन्होंने चुनौती वोट तथा टेंडर वोट के संबंध में प्रसारित की जा रही जानकारियों का खंडन करते हुए इसे मतदाताओं को भ्रमित करने वाला करार दिया है। सोशल मीडिया पर बताया जा रहा है कि मतदान केन्द्र में पहुंचने पर मतदाता सूची में नाम नहीं होने की स्थिति में भी मतदाता अपना वोट दे सकता है। पीठासीन अधिकारी से निर्वाचन संचालन नियम 1961 की धारा 49 (ए) में दी गई कथित ‘चुनौती वोट’ के तहत अपना पहचान पत्र दिखाकर मतदान कर सकता है।

तो ऐसे वोट को कहा जाता है चुनौती वोट

साहू ने स्पष्ट किया है कि किसी भी मतदान केन्द्र में वोट डालने के लिए मतदाता सूची में नाम होना अनिवार्य है। नाम नहीं होने कीे स्थिति में कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत करने के बावजूद मत देना संभव नहीं होगा। चुनौती वोट का इस परिस्थिति से कोई संबंध नहीं है। इसकी स्थिति तब निर्मित होती है जब किसी मतदाता के पहचान को किसी अभ्यर्थी के अभिकर्ता के द्वारा चुनौती दी जाती है। ऐसे में पीठासीन अधिकारी चुनौती की जांच पश्चात चुनौती सिद्ध नहीं होने पर व्यक्ति को मत डालने की अनुमति दे सकते हैं। ऐसे वोट को चुनौती वोट कहा जाता है।

वहीं, सोशल मीडिया में टेंडर वोट को लेकर दावा किया जा रहा है कि यदि किसी भी मतदान केन्द्र में 14 प्रतिशत से अधिक ‘टेंडर वोट’ रिकार्ड होता है तो ऐसे पोलिंग बूथ में पुनर्मतदान किया जाएगा। साहू ने इसे भी निराधार और गलत बताया है। उन्होंने कहा कि टेंडर वोट को लेकर किसी भी मतदान केन्द्र में पुनर्मतदान का कोई प्रावधान अस्तित्व में ही नहीं है। उन्होंने बताया कि यदि किसी मतदाता के स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति ने वोट डाला हो तो वास्तविक मतदाता टेंडर वोट की मांग कर सकता है और उसे पीठासीन अधिकारी द्वारा पेपर बैलट से मत देने का अवसर दिया जाएगा। इस वोट को टेंडर वोट कहा जाता है।

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