नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की हेलीकॉप्टर कंपनी पवन हंस के विनिवेश की सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना को झटका लगा है। इस कंपनी को खरीदने के लिए कोर्ई भी सामने नहीं आया। पवन हंस के लिए वित्तीय बोली सौंपने की अंतिम तिथि पिछले महीने ही खत्म हो गई लेकिन चुनाव आचार संहिता लागू होने की वजह से सरकार इसकी तिथि को आगे नहीं बढ़ा पाई है। घटनाक्रम के जानकार एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘कुछ कंपनियों ने पवन हंस को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी लेकिन किसी ने भी वित्तीय बोली जमा नहीं कराई।’ यह दूसरा मौका है जब पवन हंस की विनिवेश प्रक्रिया विफल रही। पिछले साल भी बोली मंगाई गई थी लेकिन सिर्फ एक बोलीदाता के सामने आने की वजह से बिक्री प्रकिया टाल दी गई।
51 फीसदी हिस्सेदारी बेंचने की थी योजना:
पिछली बार सरकार ने कंपनी में 51 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी और ओएनजीसी को 49 फीसदी हिस्सेदारी अपने पास रखने की अनुमति दी थी लेकिन इस बार ओएनजीसी अपनी 49 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए तैयार है।
ओएनजीसी का निदेशक मंडल 49 फीसदी हिस्सेदारी को उसी कीमत पर बेचने को सहमत है, जिस भाव पर 51 फीसदी के लिए बोली लगेगी। सरकार का मानना है कि ओएनजीसी की हिस्सेदारी के साथ बिक्री करने से कंपनी का मूल्यांकन बेहतर हो सकता है। सरकार ने कंपनी में रणनीतिक विनिवेश का प्रबंधन करने के लिए एसबीआई कैप्स को नियुक्त किया है। उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मुंबई की ग्लोबल वेक्ट्रा हेलीकॉर्प और हेलीगो चार्टर्स ने इसमें दिलचस्पी दिखाई थी लेकिन बोली नहीं लगाई। विशेषज्ञों ने कहा कि सरकार को एसबीआई कैप्स के सुझावों पर ध्यान देना चाहिए था और सार्वजनिक सूचीबद्धता करानी चाहिए थी, जिससे ओएनजीसी को हिस्सेदारी घटाने में मदद मिलती।
कंपनी मुनाफे में : मार्क मार्टिन
विमानन सलाहकार कंपनी मार्टिन कंसल्टैंसी के संस्थापक मार्क मार्टिन ने कहा, ‘कंपनी मुनाफे में है। बाजार में हिस्सेदारी बेचकर ओएनजीसी खासा मुनाफा कमा सकती है। अब हिस्सेदारी बेचने का प्रचास विफल होने के बाद सरकार के हाथ से आईपीओ लाने का मौका भी निकल चुका है।’
पवन हंस के बेड़े में 50 हेलीकॉप्टर हैं और इसके परिचालन में तटों से दूर परिचालन, चार्टर सेवाएं, बचाव कार्य, सहयोग एवं विशेष चार्टर और महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों को लाने-ले जाने आदि कार्य शामिल हैं। इसका कारोबार मुनाफे में रहा है और वर्ष 2016-17 में 2.48 अरब रुपए का मुनाफा दर्ज किया था। इस साल 31 जनवरी तक पवन हंस की अधिकृत पूंजी 5.6 अरब रुपए और चुका हिस्सेदारी पूंजी 5.57 अरब रुपये थी। सरकार एयर इंडिया, पवन हंस, हिंदुस्तान फ्लूरोकार्बन्स, हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट, भारत पंप्स ऐंड कंप्रेशर्स, स्कूटर्स इंडिया, ब्रिज ऐंड रूफ कंपनी, हिंदुस्तान फैब और प्रोजेक्ट्स ऐंड डेवलपमेंट इंडिया सहित सार्वजनिक क्षेत्र की विभिन्न कंपनियां बेचना चाहती है। सरकार एयर इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश कर रही थी, लेकिन इसमें 76 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने में किसी ने भी रुचि नहीं दिखाई।
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