दल्लीराजहरा। केन्द्र सरकार के नियामानुसार अंतर्गत जिन-जिन जिलों में खनिज उत्पादन से रायल्टी मिलती है उसका बड़ा हिस्सा संबंधित जिले के विकास पर खर्च किए जाएगा। इस घोषणा के उपरांत माइनिंग क्षेत्रों के निवासरत लोगों को एक उम्मीद की आस जगी थी। दल्लीराजहरा और महामाया माइंस क्षेत्र जहां के खदानों में खनन कर बीएसपी करोड़ों रुपए कमाती है। प्रतिवर्ष रायल्टी के रूप में जिले को लाखों की राशि मिलती है। जिन क्षेत्रों में खनन किया गया है उन क्षेत्रों में निवासरत लोगों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने में आज भी प्रशासन पूरी तरह विफल है। लोगों को पीने के पानी से लेकर स्वास्थ्य, रोजगार, जमीन आदि सुविधाएं नहीं मिल पाई है। जिसके कारण दल्लीराजहरा व महामाया क्षेत्र में लगातार पलायन आज भी जारी है। दल्लीराजहरा में जहां पूर्व में 1 लाख 8 हजार की जनसंख्या वर्तमान में घटकर लगभग 44 हजार तक पहुंच चुकी है। वहीं महामाया में 12 हजार की जनसंख्या वर्तमान में सिमटकर सैकड़ों में हो गई है।  

शुद्ध पानी को तरस रहे लोग :

दल्ली राजहरा के क्षेत्र में उच्च क्वालिटी का लौह अयस्क, डोलोमाइट, लाइम स्टोन पाया जाता है। नगर के चारों ओर भूगर्भीय खनिज खदानें चल रही हैं। महत्वपूर्ण खदानें होने के कारण दल्ली में जहां भी बोर किया जाता है। वहां लाल रंग का आयरनयुक्त पानी ही निकल रहा है। फलस्वरूप नागरिकों को शुद्ध पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। दल्ली पालिका में कुल 27 वार्ड है। जनसंख्या 44 हजार के आसपास है। नगर में साफ पानी की समस्या है। शुद्ध पानी का जलस्त्रोत साधन नहीं होने से हर सीजन लोगों को पेयजल समस्या से जूझना पड़ रहा है। लौह नगरी होने की वजह से पानी में आयरन की मात्रा अधिक है।  

स्वास्थ्य के लिए हनिकारक बनी आबोहवा :

दल्ली की खदानों में रोजाना होने वाले ब्लास्टिंग के झटकों से घरों में कंपन होता है। वहीं ब्लास्ट के बाद उठने वाले धूल तथा लौह अयस्क से भरे माइंस गाड़ियों के परिवहन से गिरने वाले लौहयुक्त धूलकण से लोगों को आंखों एवं श्वांस की काफी तकलीफ होती है। वहीं आयरनयुक्त पानी पीने से भी लोगों के स्वास्थ्य में बुरा असर दिखाई दे रहा है।  

नहीं मिला जमीन का मालिकाना हक :

नगर के लोगों की सबसे बड़ी समस्या है उन्हें अब तक अपने जमीन का मालिकाना हक नहीं मिल पाना। बीएसपी प्रबंधन द्वारा सन 1959 से लौह अयस्क खनिज उत्खनन कर रेल मार्ग से भिलाई स्टील प्लांट को लौह अयस्क निर्यात कर आपूर्ति की जा रही है। लेकिन बीएसपी प्रबंधन द्वारा वर्षों पूर्व बसाए गए श्रमिक बस्तियों के लिए मूलभूत सुविधा के नाम पर कुछ भी विकास नहीं किया। नगर बीएसपी, रेलवे एवं राजस्व की भूमि पर बसा हुआ है। बीएसपी प्रबंधन द्वारा 270.26 एकड़ भूमि में बसे नागरिकों को पट्टा प्रदान के लिए पूर्व में राजस्व विभाग द्वारा कार्यवाही की जा रही थी जो वर्तमान में रूका हुआ है।  

सीएसआर की राशि का नहीं हो रहा सही उपयोग :

बीएसपी द्वारा हर वर्ष करोड़ों रुपए रॉयल्टी को सीधे जिला न्यास निधि में रोज देती है। जिसे नगर एवं आसपास के क्षेत्रों में निवासरत मूलभूत सुविधा शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर खर्च करना होता है। दल्लीराजहरा एवं महामाया में बीएसपी द्वारा संचालित प्राथमिक, मिडिल एवं हाईस्कूल कुल 5 स्कूलों को बंद कर दिया गया है। वर्तमान में मात्र बीएसपी हायर सेकेंड्री स्कूल क्रमांक 2 ही संचालित है। नगर में मेडिकल व पालीटेक्निक क्षेत्रों में अध्ययन करने के लिए विद्यार्थियों को बड़े शहरों का रूख करना पड़ता है। अगर नगर में ही उच्च शिक्षण संस्थाए प्रारंभ करा दी जाए तो नगर के साथ-साथ आसपास ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को भी काफी लाभ होगा। जिससे की राजहरा भिलाई की तरह एजुकेशन हब के रूप में उभर सकता है। जिसके लिए बीएसपी अधिकारियों से चर्चा करने के बाद भी प्रशासन कोई भी हल निकालने में नाकाम रही।  

युवाओं को रोजगार नहीं :

दल्लीराजहरा में पलायन की स्थित प्रारंभ होने के पीछे सबसे बड़ा कारण स्थानीय लोगों के लिए नए रोजगारमूलक इकाई का न खुलना है। माइंस क्षेत्रों में कार्य करने के लिए जो श्रमिक कार्य में लगते हैं उन्हें भी यूनियन की राजनीति का सामना करना पड़ता है। वर्तमान समय में रोजगार के साधन के लिए स्थानीय लोगों को केवल बीएसपी प्रबंधन के भरोसे ही बैठे हुए हैं।     Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें  Facebook पर Like करें, Twitter पर Follow करें  और Youtube  पर हमें subscribe करें।