रायपुर। जल, जंगल और जमीन की आदिवासियों की लड़ाई की आग एक बार फिर बस्तर में सुलग चुकी है। संयुक्त पंचायत समिति के बैनर तले किरन्दुल में एनएमडीसी के गेट पर इस वक्त 20 हजार से ज्यादा आदिवासी मौजूद हैं।

ये लोग दक्षिण बस्तर में उद्योगपति गौतम अडानी को बैलाडीला की खदान नंबर 13 देने का विरोध कर रहे हैं। जकांछ जे के संस्थापक अजीत जोगी किरन्दुल रवाना हो गए हैं। जैसे ही ये खबर आई प्रदेश के उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने अपना समर्थन देकर मामले को हैक करने की भरपूर कोशिश की।
उन्होंने टीआरपी से कहा कि अडानी को खदान देना आदिवासियों और बस्तर के हक में कतई ठीक नहीं है। वे आदिवासियों के साथ हैं। सियासी गलियारों के जानकारों का मानना है कि उद्योग मंत्री अगर समर्थन में आए हैं तो जरूर कोई न कोई हल तो निकल ही आएगा। इस वक्त वे धमतरी जिले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ हैं।
मौके पर मौजूद विशिष्ट लोग:
इस मौके पर एनएमडीसी के गेट के पास धरने में कांग्रेस की पूर्व विधायक देवती कर्मा, दीपक कर्मा, जया कश्यप, सोनी सोरी, विमला सोरी, अवधेश सिंह गौतम जैसे तमाम लोग शामिल रहे। जया कश्यप ने शासन -प्रशासन की कार्य प्रणाली को लेकर भी जमकर सवाल उठाए। इस कार्यक्रम में तमाम गांवों के सरपंच और अवाम भी शामिल हुए हैं। ऐसे में देखना ये होगा कि कांग्रेस सरकार इसका क्या हल निकालती है।
आदिवासियों ने भरी हुंकार :
दरअसल जिस पहाड़ी पर खदान का ठेका दिया गया है, उसे आदिवासी अपना ईष्ट देवता मानते हैं। वे इसको बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। तमाम गांवों से आए सरपंचों और आदिवासियों ने सरकार को चेताया कि अगर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वे रेल और बसों के पहिए रोक देंगे। आदिवासियों के इस आंदोलन को बड़ी तादाद में सियासी पार्टियों ने समर्थन दिया है।
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