रायपुर। प्रदेश में 6 साल पहले हुए झीरमघाटी में हुआ नक्सली हमला छत्तीसगढ़ के इतिहास में काली स्याही के समान है। इस नक्सल हमले को अब तक कोई नही भूल पाया है। जिसमें प्रदेश ने अपने कई बड़े नेताओं को खो दिया था। जिनमें से एक थे विद्याचरण शुक्ल। उनकी आज पुण्यतिथि है। 25 मई 2013 को हुए झीरमघाटी नक्सल हमले में शुक्ल बुरी तरह से घायल हो गए थे।

17 दिनों तक ज़िन्दगी और मौत के बीच वे संघर्ष करते रहे। अंत में दिल्ली स्थिति मेंदाता अस्पताल में 11 में जून को उन्होंने दम तोड़ दिया। उनके निधन से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा।

25 मई 2013 को जब छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के नारे के साथ कांग्रेस बस्तर में यात्रा निकाल रही थी तब नंदकुमार पटेल के साथ विद्याचरण शुक्ल भी थे। इस दौरान झीरमघाटी में दरभा थाने के करीब नक्सलियों ने हमला कर दिया। हमला इतना बड़ा था कि किसी को भी संभलने का मौका तक नहीं मिला।

नक्सलियों ने एक-एक कर सभी नेताओं को निशाना बनाया था। इस घटना में मौके पर तात्कालीन प्रदेश कांग्रेस नंदकुमार पटेल और बस्तर टाइगर के नाम से मशहूर रहे महेन्द्र कर्मा की मौत हो गई थी। वीसी शुक्ल को भी कई गोलियाँ लगी थी जिन्हें घायल अवस्था में जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया। वहाँ से उन्हें दिल्ली से मेंदाता शिफ्ट किया गया। 17 दिनों तक शुक्ल अस्पताल में ज़िन्दगी की जंग लड़ते रहे लेकिन हार गए.

शुक्ल का जन्म 2 अगस्त 1929 में हुआ था। वे मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री रहे पं.रविशंकर शुक्ल के छोटे बेटे थे। उनके बड़े भाई श्यामाचरण शुक्ल भी मध्यप्रदेश के तीन बार के मुख्यमंत्री रहे। वीसी अपने दौर के सबसे कम उम्र के सासंद रहे। उन्होंने पहला चुनाव 28 साल के उम्र में जीता था। वे इंदिरा गाँधी के सबसे विश्वसनीय और करीबी नेता रहे। देश में आपातकाल के दौरान वे केन्द्रीय और सूचना प्रसारण मंत्री के पद पर थे।

आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर उनकी समाधि स्थल पर पहुंच कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत कांग्रेस के मंत्री धनेंद्र साहू, राजिम विधायक अमितेश शुक्ल, मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम, सत्यनारायण शर्मा सहित कई बड़े नेतओं ने पुष्प अर्पित कर शुक्ल को श्रद्धांजलि दी।