रायपुर। कांकेर के कोदागांव में रविवार की रात को पानी पीने एक ट्यूबवेल पर पहुंचे 3 भालुओं की करंट लगने से मौत हो गई। ट्यूबवेल मालिक ने खेत में नंगा तार बिछा रखा था जिसकी चपेट में तीनों भालू आ गए। इससे उनकी मौत हो गई।

प्रदेश में 6 महीने में कुल 9 भालुओं की मौत हो चुकी है। कांकेर वन विभाग के एक अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि मरने वाले दो भालू वयस्क थे और तीसरा बच्चा था। तीनों का बिसरा प्रिजर्व कर बरेली भेज दिया गया है।

उनके शवों को अधिकारियों की मौजूदगी में पोस्टमार्टम के बाद जला दिया जाएगा। इतनी बड़ी घटना हो जाने के बाद डीएफओ इमेतेम्स आव ने मौन साध लिया है। लगातार फोन करने पर उन्होंने फोन नहीं उठाया। यही हाल वन मंत्री मोहम्मद अकबर का भी रहा। उन्होंने भी लगातार फोन किए जाने के बावजूद भी कॉल पिक नहीं की।

जाम हो गई जामवंत योजना:

पिछली सरकार ने भालुओं के लिए जामवंत योजना बनाई थी। इसके तहत जंगलों में छोटे-छोटे तालाब बनाए जाने थे। इसके अलावा फल वाले वृक्ष लगाए जाने थे।

विशेषज्ञों का विचार था कि इससे अगर भालुओं को भोजन और पानी जंगल में ही मिल जाएगा तो वे गांवों की ओर नहीं आएंगे। समय बदला, सरकार बदली मगर जंगली भालुओं की समस्या जस की तस रह गई। अब तो जंगलों के आसपास के गांवों के लोग भी पूछते हैं कि आखिर कहां जाम हो गई जामवंत योजना?

 

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