रायपुर। प्रदेश में शिक्षा का अधिकार कानून के अंतर्गत गरीब बच्चों को समुचित लाभ नहीं मिल रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग और लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा निजी स्कूलों को अप्रत्यक्ष लाभ पहुंचाने की नियत से कम से कम सीटों पर गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिया जा रहा है। जिम्मेदार अधिकारी जान-बुझकर सुनियोजित ढंग से रिक्त सीटों पर गरीब बच्चों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है, जिसके कारण हजारों पात्र गरीब बच्चे प्रत्येक वर्ष निःशुल्क शिक्षा से वंचित हो रहे है। यह कहना है छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन का।
वर्तमान सत्र में करीब 36 हजार सीटें खाली
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन ने प्रेसवार्ता के दौरान बताया कि मा. उच्च न्यायालय बिलासपुर ने वर्ष 2016 में यह आदेश दिया था कि आरटीई के अंतर्गत सभी रिक्त सीटें भरी जाएं। इसके बावजूद सत्र 2018-19 में 43 हजार रिक्त सीटों को भर नहीं गया, जिसका सीधा लाभ निजी स्कूलों को मिला। इस सत्र 2019-20 में भी लगभग 36 हजार सीट अभी भी रिक्त है। कई प्राईवेट स्कूल 1 अप्रैल से आरंभ हो चुके हैं। अब पुनः 24 जून से स्कूल आरंभ हो जायेंगे, लेकिन आरटीई के अंतर्गत चयनित गरीब बच्चों को प्रवेश नहीं दिया जा सका है। छग पैरेंट्स एसोसियेशन के द्वारा सरकार से मांग की गई है कि गरीब बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून के अंतर्गत समुचित लाभ दिया जाए। जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ तत्काल जांच कर सख्त कार्यवाही किया जाए, जिन्होंने गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा से वंचित कर निजी स्कूलों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचाया है।

सत्र  2018-19 के दौरान शिक्षा के अधिकार तहत हुई भर्ती

  • कुल स्कूल- 6,000
  • कुल आरक्षित सीट- 80,000
  • कुल आवेदन- 76,875
  • कुल आबंटित सीट्स- 37,000
  • कुल रिक्त सीट्स- 43,000

सत्र  2019-20 के दौरान शिक्षा के अधिकार तहत हुई भर्ती

  • कुल स्कूल- 6,451
  • कुल आरक्षित सीट्स- 86,508
  • कुल आवेदन- 99,798
  • कुल आबंटित सीट्स- 50,000
  • कुल रिक्त सीट्स- 36,000