जगदलपुर। बिहार के बाद छत्तीसगढ़ के बस्तर में भी चमकी बुखार ने दस्तक दी है। बस्तर के जगदलपुर डिमरापाल मेडिकल कॉलेज में चमकी बुखार से पीड़ित 4 बच्चों को भर्ती कराया गया है। जिसमें से एक की हालत काफी गंभीर बताई जा रही है। जगदलपुर के डिमरापाल शासकीय मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुरूप साहू ने बताया कि चमकी बुखार से पीड़ित तीन बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं। बच्चों की जांच रिपोर्ट में जापानी बुखार के अलावा चमकी बुखार के भी लक्षण मिले हैं।

जिन बच्चों में चमकी बुखार के लक्षण पाए गए है उनकी उम्र महज 4 साल, 7 साल और 3 साल है। बच्चों का इलाज जारी है। आपको बता दें कि कुछ दिन पहले डीमरापाल मेडिकल कॉलेज में 4 बच्चों को भर्ती कराया गया था जिसमें से कुछ बच्चे 24 घंटे के बाद होश में आए। एक बच्चे ने 5 दिन के बाद दम तोड़ दिया। हालांकि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने पूरे प्रदेश में इस बीमारी को लेकर हाई अलर्ट घोषित कर दिया है और सभी जिलों के स्वास्थ्य अमले को शहर से गांव तक सभी आंगनबाड़ियों और उप स्वास्थ्य केंद्रों में जाकर लगातार नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।

बीते 18 जून को बस्तर के चोलनार गांव से मासूम भुवाने नाग (4 साल) को गंभीर अवस्था में मेकाॅज में भर्ती करवाया गया है। इस मासूम की जांच के बाद जो रिपोर्ट आई है उसमें जापानी बुखार के अलावा एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के लक्षण हैं। बच्चे की हालत नाजुक बनी हुई है, अन्य दो बच्चे कुमार मंडावी (7 साल), इतियासा (3 साल) जो किलेपाल और परपा से आए हैं। उनकी सेहत में सुधार हो रहा है।

क्या है चमकी बुखार

एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम या चमकीबुखार एक संक्रामक बीमारी है। इस बीमारी के वायरस शरीर में पहुंचते ही खून में शामिल होकर अपना प्रजनन शुरू कर देते हैं। शरीर में इस वायरस की संख्या बढ़ने पर ये खून के साथ मिलकर व्यक्ति के मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं। मस्तिष्क में पहुंचने पर ये वायरस कोशिकाओं में सूजन पैदा कर देते हैं। जिसकी वजह से शरीर का सेंट्रल नर्वस सिस्टम खराब हो जाता है।

चमकी बुखार के लक्षण

  • चमकी बुखार में बच्चे को लगातार तेज बुखार चढ़ा रहता है।
  • बदन में ऐंठन के साथ बच्चा अपने दांत पर दांत चढ़ाए रहता हैं।
  • शरीर में कमजोरी की वजह से बच्चे में बार-बार बेहोशी आती है।
  • शरीर में कंपन के साथ बार-बार झटके लगते रहते हैं।
  • शरीर भी सुन्न हो जाता है।

बच्चे ही क्यों होते हैं शिकार

ज्यादातर बच्चे ही दिमागी बीमारी के शिकार होते हैं। बच्चों के शरीर की इम्युनिटी कम होती है, वो शरीर के ऊपर पड़ रही धूप को नहीं झेल पाते हैं। यहां तक कि शरीर में पानी की कमी होने पर बच्चे जल्दी हाइपोग्लाइसीमिया के शिकार हो जाते हैं। कई मामलों में बच्चों के शरीर में सोडियम की भी कमी हो जाती है।

क्या है इलाज

  • चमकी बुखार से पीड़ित इंसान के शरीर में पानी की कमी न होने दें।
  • बच्चों को सिर्फ हेल्दी फूड ही दें।
  • रात को खाना खाने के बाद हल्का-फुल्का मीठा जरूर दें।
  • सिविल सर्जन एसपी सिंह के मुताबिक चमकी ग्रस्त बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया यानी शुगर की कमी देखी जा रही है।
  • फिलहाल जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
  • यहां चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए समुचित व्यवस्था की गई है।
  • डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर बाद तरल पदार्थ देते रहें ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो

बरतें सावधानियां

  • गर्मी के मौसम में फल और खाना जल्दी खराब होता है।
  • घरवाले इस बात का खास ख्याल रखें कि बच्चे किसी भी हाल में जूठे और सड़े हुए फल नहीं खाए।
  • बच्चों को गंदगी से बिल्कुल दूर रखें।
  • खाने से पहले और खाने के बाद हाथ ज़रूर धुलवाएं।
  • साफ पानी पिएं, बच्चों के नाखून नहीं बढ़ने दें।
  • गर्मियों के मौसम में धूप में खेलने से मना करें।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

बुखार को जर अंदाज न करें। अगर बुखार न उतरे तो तत्काल अस्पताल जाकर जांच करवाएं। शासन ने पूरी व्यवस्था कर रखी है। समय पर इलाज मिले तो बच्चा आसानी से बच सकता है। मगर बेहोशी आने के बाद उपचार में थोड़ी समस्या आती है। कैसा भी बुखार हो मरीज को डॉक्टर के पास जरूर लेकर जाएं।

डॉ. अनुरूप साहू, शिशु रोग विशेषज्ञ
मेडिकल कॉलेज, जगदलपुर