रायपुर। भाजपा ने 15 साल के शासनकाल में यदि बिजली को लेकर गंभीरता से काम किया होता तो आज छत्तीसगढ़ की ये स्थिति नहीं होती जो आज है। भाजपा शासनकाल में बिजली घर से लेकर ट्रांसमिशन तक सब कुछ भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी की गिरफ्त में रहा। अब वही भाजपा बिजली कटौती को लेकर आंदोलन की बात कर रही है।

कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी का कहना है कि पिछले पांच साल के पांच माह की कटौती की रिपोर्ट बताती है कि भाजपा शासनकाल में पिछले साल करीब सवा लाख घंटे बिजली गुल रही। जबकि कांग्रेस शासन में यह आंकड़ा एक लाख घंटे से कम है. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सहित भाजपा के कई दिग्गज नेता लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि प्रदेश में शहर से लेकर गांवों तक बिजली कटौती की जा रही है।

घटिया विद्युत उपकरणों की रमन

आगे उन्होंने कहा कि घटिया क्वालिटी के ट्रांसफार्मर और अन्य विद्युत उपकरणों की खरीदी रमन सिंह सरकार में की गई। इनके जलने खराब होने और ओवरलोड के कारण ट्रिप होने और प्रीमानसून मेंटेंनेस को भाजपा सुनियोजित रूप से पावर कट  कह कर प्रचार कर रही है। प्रीमानसून मेंटेंनेन्स, ओवरलोड ट्रिपिंग या घटिया क्वालिटी विद्युत के उपकरणों के बार-बार खराब होने के कारण बिजली जा रही है।  कांग्रेस सरकार ने तो प्रदेश में बिजली की मांग से ज्यादा उत्पादन के द्वारा कीर्तिमान स्थापित किया है।  जिससे बौखलाकर भाजपा द्वारा हर मामले में झूठ के तिनके को सहारा बनाया जा रहा है।

 

  • बिजली की समस्या पिछली सरकार रमन सिंह की ही देन है।
  • भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी ने पूरे बिजली विभाग के तंत्र को नुकसान पहुंचाया है।
  • बिजली का बिल हाफ करने से भाजपा घबरा गई है और जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रही ।
  • 15 वर्षो की रमन सरकार पर यह आरोप लगाया है कि मोदी सरकार की सौभाग्य योजना का लक्ष्य पूरा करने की हड़बड़ी में बिना ट्रांसमीशन लाईन की केपिसिटी बढ़ाये, ट्रांसफार्मरों और सबस्टेशनों के बिना क्षमता बढ़ाये और नये ट्रांसफार्मर और नये सबस्टेशन लगाये बिना लोड बढ़ाया गया और आधा अधूरा काम किया गया। जिसमें भी जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। जिसके कारण ही बिजली बार-बार गुल हो रही और आम जनता को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
  • पॉवर कंपनी पिछले वर्षो से अधिक बिजली का रिकार्ड उत्पादन लगभग 4444 मेगावाट कर रही है एवं प्रदेश में इस समय मांग 4416 मेगावाट की है।
  • इस प्रकार बिजली की प्रदेश में कमी तो नहीं है लेकिन पिछले समय उच्च गुणवत्ता वाले उपकरण की खरीदी नहीं की गई औऱ कर्मचारियों की कमी की समस्या को भी दूर नहीं किया गया।
  • पिछले 15 वर्षो में कर्मचारियों की नई भर्ती भी नहीं की गई।
  • कर्मचारियों के रिटायर होने पर या मौत होने पर उन खाली पदों की पूर्ति भी नहीं की गई।
  • उचित रूप से लाईन का रख-रखाव का कार्य प्रभावित हुआ।
  • भाजपा की सरकार ने विद्युत कंपनी को खस्ताहाल में छोड़कर गई है, जिसे सुधारने की आवश्यकता है।