रायपुर। अतिसंवेदनशील जगरगुंडा क्षेत्र में 13 वर्षों बाद फिर शिक्षा की ज्योत जली है, स्कूलों में बच्चों की रौनक फिर से लौटी है। नए शिक्षण सत्र के पहले दिन आज उद्योग मंत्री कवासी लखमा द्वारा पांच शैक्षणिक संस्थाओं, छात्रावास का संचालन पुनः प्रारंभ किया गया। जगरगुंडा सलवा जूडूम अभियान से पहले तक व्यापारिक केन्द्र और हाईस्कूल तक शिक्षा केन्द्र रहा है। तत्कालीन समय में जगरगुंडा में बैंक का भी संचालन किया जाता था।

2006 में पूरा जगरगुंडा हो गया था खाली

वर्ष 2006 के सलवा जूडूम अभियान के दौरान आसपास के गांव सहित पूरा जगरगुंडा भी खाली हो गया था। जिसके बाद से लगभग 13 वर्षों से वहां स्कूल का संचालन नहीं किया जा रहा था। इस क्षेत्र के विद्यार्थी नजदीकी पोटाकेबिन में अध्ययन किया करते थे। नागरिकों के मांग को देखते हुए शासन और जिला प्रशासन के अथक प्रयास से स्कूलों का संचालन दोबारा शुरू किया गया है।

उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने आज जगरगुण्डा में हाईस्कूल, हायर सेकेण्डरी स्कूल, बालक आश्रम शाला, बालक और कन्या छात्रावास का शुभारंभ किया। मंत्री लखमा ने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि जगरगुंडा में 13 वर्षों के बाद पुनः स्कूलों का संचालन शुरू किया गया है। शिक्षा के अधिकार के तहत अब कक्षा नवमी से 12वीं कक्षा को दायरे में लाया गया है। इससे क्षेत्र के विद्यार्थियों को कक्षा पहली से 12वीं तक निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का लाभ मिलेगा।

अब भी राहत शिविर में रहते हैं लोग

जगरगुंडा सुकमा जिले का सर्वाधिक नक्सल प्रभावित इलाका है। वर्ष 2006 में नक्सल विरोधी अभियान सलवा जूडूम के दरमियान तत्कालीन दंतेवाड़ा जिले के जगरगुंडा सहित वर्तमान सुकमा जिले के कई स्कूलों व शासकीय भवनों को नक्सलियों द्वारा नष्ट किया गया था। भवनों को क्षतिग्रस्त करने का मुख्य कारण इन भवनों में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था। जगरगुंडा ऐसा क्षेत्र है जहां अभी भी राहत शिविर का संचालन किया जा रहा है। यहां जहां लगभग 1200 परिवार निवास करते हैं। शासन द्वारा प्रत्येक तीन माह में राहत शिविर के लिए राशन उपलब्ध कराया जाता है। शासन द्वारा इस क्षेत्र के विकास को गति देने के लिए सड़कों से जोड़ा जा रहा है। इस क्षेत्र को जिला दंतेवाड़ा की ओर से और सुकमा के दोरनापाल से जोड़ा जा रहा है।