नई दिल्ली। 20 साल में 3.22 लाख किसानों ने की खुदकुशी कर ली। ये हम नहीं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े कहते हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार देश में 1995 से 2015 तक कुल 3,22,028 किसानों ने आत्महत्या की है। तो वहीं छत्तीसगढ़ में 954 किसानों ने सुसाइड किया। ये आंकड़े साफ-साफ बता रहे हैं कि मौजूदा कृषि संकट की सबसे बड़ी वजह है कि किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
किसानों को लेकर देश में लगातार कई बड़ी-बड़ी बातें होती हैं लेकिन उन पर अमल कम ही हो पाता है।
लोकसभा में उठा राजस्थान के किसान का मामला:
ऐसा ही एक मामला राजस्थान के श्रीगंगानगर से सामने आया है। यहां पर कर्ज से परेशान चल रहे एक किसान ने खुदकुशी कर ली। ये मामला रविवार का है। किसान ने सुसाइड नोट में लिखा है कि उनकी मौत का जिम्मेदार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को माना जाए। अब यह मामला लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला तक पहुंच गया है। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने सरकार बनाने से पहले ही किसानों की कर्जमाफी की बात कही थी, लेकिन उसी राज्य में किसान आत्महत्या कर रहे हैं।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ें को देखे तो पता चलता है कि देश में 1995 से 2015 तक कुल 3,22,028 किसानों ने खुदकुशी की है। ये आंकड़े इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि मौजूदा कृषि संकट की सबसे बड़ी वजह है कि किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य नहीं मिल पा रहा है। किसानों की आय दोगुनी करने का दावा सिर्फ झूठा वादा साबित हो रहा है।

किसानों की मौत का आंकड़ा भी स्पष्ट नहीं है। केंद्र सरकार के आंकड़े राज्य सरकारों के आंकड़ों से मिलते नहीं। अगर महाराष्ट्र सरकार के रिहैबिलिटेशन एवं रिलीफ डिपार्टमेंट के अनुसार अकेले महाराष्ट्र में 2015 से 2018 के चार साल में 12,004 किसानों ने खुदकुशी की। जबकि, अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार 2010 से 2014 के पांच साल में सिर्फ महाराष्ट्र में ही 8,009 किसानों ने ही अपनी जान दे दी।

एनसीआरबी के 2015 में जारी आंकड़े
महाराष्ट्र – 4291
कर्नाटक – 1569
तेलंगाना – 1400
मध्यप्रदेश- 1290
छत्तीसगढ़ – 954
आंध्र प्रदेश – 916
तमिलनाडु – 606
इन सातों राज्यों में आत्महत्या करने वाले कुल किसानों की संख्या 11,026 है, जो कि देश में उस साल आत्महत्या करने वाले 12,602 किसानों का 87.5% है।
2016 के बाद केंद्र सरकार ने नहीं जारी किए आंकड़े :
गृह मंत्रालय के उन आंकड़ों को माने जो लोकसभा के पटल पर पिछले साल रखे गए उसके मुताबिक, 2016 में भारत में 6,351 किसानों/ खेती करने वालों ने खुदकुशी की है। यानी हर रोज 17 किसानों ने खुदकुशी की है। यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि 2015 में यह आंकड़ा 8,007 यानी हर दिल 22 किसान आत्महत्या कर रहे थे। यानी खुदकुशी के आंकड़ों में 21% की गिरावट है। वर्ष 2015 तक किसानों की खुदकुशी की रिपोर्ट अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो उसके वेबसाइट पर मौजूद है लेकिन 2016 से लेकर 2019 तक की कोई रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की गई है।

2018 में 15 राज्यों के किसान पहुंचे थे दिल्ली:
पिछले साल देश के 15 राज्यों के किसान दिल्ली की सड़कों पर जमा हो गए थे। केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे थे। किसान कर्जमाफी और फसलों की लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य समेत कई मांग कर रहे थे। रामलीला मैदान में लाल टोपी पहने और लाल झंडा लिए किसानों ने ‘अयोध्या नहीं, कर्ज माफी चाहिए’ जैसे नारे लगाते दिख रहे थे। बाद में इनमें से कई उपद्रव करने पर आमादा हो गए थे। उन्होंने पुलिस बैरिकेट्स पर ट्रैक्टर चढ़ा दिए थे। इसके बाद पुलिस ने लाठियां भांजी थी। मौके पर मौजूद कुछ लोग तो यहां तक बताते हैं कि किसानों के वेश में कुछ असामाजिक तत्व भी घुस आए थे। उन लोगों ने ही ऐसे काम किए।

Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के

लिए हमें Facebook पर Like करें और Twitter पर Follow करें

एक ही क्लिक में पढ़ें  The Rural Press की सारी खबरें