रायपुर। दुर्ग में भाजपा के धरने में पहुंचे पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेश मूणत के खिलाफ वापस जाओ के नारे का लगना कई संकेत दे रहा है। पार्टी के आला नेताओं को इसे सम­ाकर उसका समुचित उपचार करना होगा। वर्ना स्थिति जल्दी ही भयावह हो जाएगी।
मजेदार बात तो ये कि उसी मंच पूर्व कैबिनेट मंत्री रमशीला साहू,जिलाध्यक्ष उषा टावरी, महापौर चंद्रिका चंद्राकर,जिला महामंत्री देवेंद्र चंदेल,डोनार सिंह वर्मा, प्रीतपाल बेलचंदन जैसे तमाम नेता मौजूद थे। इनमें से ज्यादातर सरोज पाण्डेय के समर्थक माने जाते हैं। पार्टी के अंदर महल के जानकारों का तो यहां तक आरोप है कि भाजपा इतनी बुरी तरह नहीं हारती। उसको अपनों ने ही हराया है। दुर्ग के कार्यकर्ताओं में राजेश मूणत को लेकर आक्रोश था, तो वहीं चुनावी हार के बाद वे पहली बार दुर्ग गए थे। ऐसे में उनको देखते ही कार्यकर्ता उत्तेजित हो गए। वैसे भी ये नाराजगी अपने आप में कई संकेत दे रही है। अगर उन संकेतों को सम­ाकर उनका जल्दी समाधान नहीं दिया गया तो हालात चिंताजनक हो सकते हैं।
अभी भी जमें हैं भितरघाती :
लोकसभा चुनावों में परिणाम बदल कर भाजपा भले ही अपनी पीठ ठोक रही है मगर असलियत तो यही है कि पार्टी के अंदर अभी भी भितरघाती जमे हुए हैं। विधानसभा चुनावों में पार्टी को हराने में भी इन्हीं का हाथ था।
जानकारों का कहना है कि राजेश मूणत जल्दी ही गुस्से में आ जाते हैं। अब ऐसे में कार्यकर्ता उनसे भला कितने खुश रहेंगे? कोरबा में विधानसभा के पहले ही एक सभा में कई कार्यकर्ताओं ने जेपी नड्डा और तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक से कहा था कि आप लोग यहां एकता का पाठ पढ़ाने आए हैं? यहां कुर्सी मिल जाने पर बड़े नेता अपने ही कार्यकर्ताओं के पैर छूने के बाद जवाब तक नहीं देते।
ये चेहरे बदल दो सर :
विधानसभा चुनावों के ठीक पहले सरगुजा में बैठक चल रही थी। इसमें भी कार्यकर्ताओं ने तत्कालीन अध्यक्ष धरमलाल कौशिक से कहा था कि चेहरे बदल दीजिए सर…चुनाव जीत जाएंगे। पार्टी के रणनीतिकारों ने इसको हल्के में लिया और नतीजा निकला चुनाव बुरी तरह हार गए। इसबार भी संकेत कुछ ऐसे ही मिल रहे हैं। दुर्ग के कार्यकर्ताओं में राजेश मूणत को लेकर एक छिपा हुआ आक्रोश है, अगर समय रहते इसको नहीं रोका गया। तो हो न हो एक दिन ये भयावह रूप अख्तियार करेगा।
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