रायपुर। छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग में एकतरफ नियम-कायदे बनते हैं। फिर घोटालों को अंजाम देने के लिए उन्हीं नियमों को ताक पर रखते हुए कई कार्यों को अंजाम दिया जाा है। एकबार फिर जनसंपर्क विभाग में करीब 1 करोड़ रुपए का एक और घोटाला सामने आया है। यह घोटाला जनसंपर्क विभाग के पूर्व आयुक्त राजेश सुकुमार टोप्पो ( Former Commissioner Rajesh Sukumar Toppo) के ही कार्यकाल का है। वे काफी समय से अपने करीबी लोगों को इस तरह के घोटालों को जरिए उपकृत करते आएं हैं। वर्तमान सरकार में भी उनके कार्यों को लेकर कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

विभाग द्वारा 21/8/2017 में छत्तीसगढ़ संदर्भ 2017 पुस्तिका के मुद्रण व प्रकाशन का प्रस्ताव तैयार किया गया। 80,000 प्रतियों के मुद्रण व प्रकाशन का कार्यादेश सीधे जंनसंपर्क विभाग ने बगैर टेंडर के प्राइवेट प्रेस कयुमी को दिया गया। जबकि नियमानुसार इस पुस्तिका के मुद्रण व प्रकाशन की जिम्मेदारी संवाद की है।

क्या है इस पुस्तिका में

प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में पढ़ने वाले करीब 71 हजार छात्रों को बांटने हेतु छत्तीसगढ़ संदर्भ 2017 का प्रकाशन कराया गया।  इस पुस्तिका में छत्तीसगढ़ की विकासगाथा को शामिल किया गया था। जिसमें छत्तीसगढ़ के संबंध में समस्त जानकारियां शामिल की गई। ताकि छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं में इसका लाभ मिल सके।

तीन बार जारी हुए कार्यादेश

इस पुस्तिका के प्रकाशन की आड़ में घोटाले को लेकर जनसंपर्क विभाग इसकदर गंभीर था कि इसके लिए तीन बार कार्यादेश जारी किए गए। पहले 50,000 प्रतियां छपवाई जानी थी, बाद में जिसकी संख्या 80 हजार तक बढ़ा दी गई।

दिनांक               प्रतियां

08/01/2018-  25000

30/01/2018- 25000

19/03/2018- 30000

क्या है छपाई के नियम?

नियमों के अनुसार छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग को छत्तीसगढ़ संदर्भ पुस्तिका 2017 विभाग की ही नोडल एजेंसी संवाद से छपवाना था। भाजपा सरकार के दौरान अफसरशाही इसकदर हावी थी कि शासन के रुपयों का दुरूपयोग धड़ल्ले से किया गया। जिसमें यह पुस्तिका भी शामिल है।

छपाई से लेकर भुगतान तक हुई गड़बड़ियां, टीआरपी के पास हैं दस्तावेज

टीआरपी प्रेस के पास इस कार्यादेश के संपूर्ण दस्तावेज हैं। जिससे यह खुलासा होता है कि पूर्व प्रशासनीक अधिकारियों ने किस कदर शासन के पैसों का दुरूपयोग किया।

  • छत्तीसगढ़ संदर्भ पुस्तिका 2017 की छपाई संवाद से करानी थी जो कि नहीं करवाई गई।
  • कार्यादेश के अनुसार 10 दिन के अंदर या समय सीमा में पुस्तिका को प्रिंट कर विभाग को सौंपा जाना था जो कि नहीं किया गया।
  • कार्यादेश दिनांक एवं माल प्राप्ति चालान के दिनांक में एक से दो माह का अंतर है। जबकि 10 दिनों में माल की आपूर्ति की जानी थी।
  • चालान क्रमांक 260 और 580 के दिनांक 23/3/18 हैं जो एक ही हैं।
  • चालान क्रमांत 247 दिनांक 26/05/2018 का है जबकि चालान क्रमांक 260 में 23/03/2018 की तिथि का उल्लेख है।
  • किताबें कब और किसे वितरित की गईं इसकी भी जानकारी विभाग को नहीं है।

कितना हुआ भुगतान

जनसंपर्क विभाग द्वारा सभी नियमों को दरकिनार करते हुए  छत्तीसगढ़ संदर्भ 2017 की 80 हजार प्रतियों के लिए कयूमी प्रिंटिंग प्रेस को करीब 86 लाख 30 हजार 272 रुपए का भुगतान किया गया।

जनकारी देने से कतरा रहे अधिकारी

इस मामले में जब जनसंपर्क विभाग के अधिकारी किसी भी प्रकार की जानकारी देने से कतरा रहे हैं। जब सहायक संचालक उमेश मिश्र से टीआरपी ने जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने जानकारी लेकर सहयोग करने की बात कही। बाद में कई बार उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कॉल रिसिव नहीं किया।

 

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