रायपुर। आज एक बेहद भावुकतापूर्ण माहौल में राजीव गांधी भवन में बतौर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने अपनी कुर्सी संभाल ली। कार्यक्रम में कांग्रेस के तमाम कद्दावर नेता मौजूद थे। इशारों ही इशारों में प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने उनको चुनौतियों का यह कहते हुए अहसास कराया कि आगे से सरकारी योजनाओं -परियोजनाओं की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी मोहन मरकाम की होगी। क्षेत्रीय और राष्टÑीय पार्टियां मोहन मरकाम को अपने लिए कितनी बड़ी चुनौती मानती हैं। इसको लेकर टीआरपी की टीम ने जकांछ जे के संस्थापक अजीत जोगी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी से जानने की कोशिश की।
क्षेत्रीय पार्टियों के वर्चस्व का समय: जोगी
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी के संस्थापक अजीत जोगी पीसीसी प्रेसिडेंट मोहन मरकाम को कोई बड़ी चुनौती नहीं मानते। सामने नगरीय निकाय चुनाव हैं। अजीत जोगी आदिवासी समाज के बड़े जनाधार वाले नेता माने जाते हैं। ऐसे में उनका कहना है कि आने वाले चुनावों में क्षेत्रीय पार्टियों का ही वर्चस्व रहेगा, जैसे पश्चिम बंगाल में टीएमसी का, तमिलनाड़ में डीएमके और तेलंगाना में केसीआर का प्रभाव है। जकांछ नगरीय निकाय चुनाव अकेले दम पर लड़ेगी।
हम सुधार की ओर हैं कोई चुनौती नहीं: विक्रम उसेंडी
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने कहा कि भाजपा अपनी रणनीति के हिसाब से काम कर रही है। 6 जुलाई से पार्टी का सदस्यता अभियान चालू है। उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस के खोखले वादों को लेकर जनता के बीच जाएंगे। उनको इनकी सारी खामियों को बताएंगे।वे कांग्रेस और मोहन मरकाम को कोई चुनौती नहीं मानते। उनका कहना है कि आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष का कांसेप्ट भी भाजपा का है।
दबाव आई कांग्रेस ने मरकाम को दिया प्रदेश अध्यक्ष का काम:
वास्तव में अगर देखा जाए तो सबसे पहले भाजपा ने आदिवासी नेता विक्रम उसेंडी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। इसके बाद फिर कांग्रेस को लगा कि अगर वो उसी लीक पर नहीं चलती तो उसको आने वाले चुनावों में भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। इसी बात को देखते हुए मोहन मरकाम को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान दी गई। अब देखना ये होगा कि आने वाले चुनावों में मोहन मरकाम कांग्रेस पार्टी को कितनी बड़ी जीत दिला पाते हैं।
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