रायपुर। राजीव भवन में शनिवार को हुए एक सादे समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नए पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम को जिम्मेदारी सौंपी। इसके साथ ही साथ उनको ताकीद किया कि अब से योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी मोहन मरकाम की होगी। तो वहीं मोहन मरकाम ने जिम्मेदारी संभालते ही कार्यकर्ताओं को पहली घुट्टी दी, कि अगर कोई कार्यकर्ता अच्छा काम करता है तो उसे उनके पास आने की कोई जरूरत नहीं है। इशारा साफ था कि अब कांग्रेस में सिफारिशों के दिन लद गए। जो काम करेगा उसे ही तरक्की मिलेगी।

करें काम नहीं तो जाएगी कुर्सी: पुनिया
प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया ने पहले ही प्रदेश के नेताओं को खुलेआम चेतावनी दे दी है कि अगर पद पर बने रहना है तो फिर काम करना ही होगा। जो काम नहीं करेगा उसकी कुर्सी जा सकती है। कोई भी नेता या मंत्री ये न मानकर चले कि उसकी कुर्सी पूरे पांच साल के लिए पार्टी ने दी है। जो भी मंत्री या पदाधिकारी काम नहीं करेगा उसकी कुर्सी जा सकती है।
संघर्ष को याद कर भावुक हुए सीएम भूपेश:
कार्यक्रम के दौरान एक वक्त ऐसा भी आया जब पुराने संघर्षों को याद कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भावुक हो उठे। उनकी आंखें छलक आर्इं। हालांकि उन्होंने तत्काल इस पर काबू पा लिया। दरअसल आज जिस दरख्त की सुरक्षा का दायित्व मोहन मरकाम को सौंपा गया। उसको इतने दिनों से भूपेश बघेल और उनके समर्थकों से सींचा है। ऐसे में उनका भावुक होना भी स्वभाविक था। कितने संघर्षों के बाद राजीव भवन खड़ा हुआ इसका भी जिक्र सीएम बघेल ने अपने संबोधन में किया। तो वहीं मोहन मरकाम को इशारों ही इशारों में उनकी जिम्मेदारी भी बता दी।
राष्टÑीय अध्यक्ष ने सौंपी मंडल-निगम में नियुक्ति की जिम्मेदारी:
सीएम भूपेश बघेल पिछली बार जब दिल्ली गए थे तो वे एआईसीसी के राष्टÑीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मिले। इस दौरान राहुल गांधी ने प्रदेश के निगम-मंडलों में खाली पड़ी सीटों पर नियुक्ति का जिम्मा भी उन्हीं को सौंप दिया। यहां समस्या ये है कि कुल पद सौ बताए जा रहे हैं। तो वहीं इन पदों के दावेदार डेढ हजार बताए जा रहे हैं। ऐसे में सीएम भूपेश बघेल के सामने भी कोई छोटी चुनौती नहीं है। यहां समस्या 14 सौ लोगों को एडजस्ट करने की है। ये कैसे संभव होगा संभवत: कांग्रेस के अंदर इसको लेकर विचार विमर्श चल रहा है।

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