कलेक्टर अनुमति बगैर ही खरीद ली सरकारी जमीन
बाद में अपनी कंपनी के नाम कर लिया ट्रांसफर, मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश
रायपुर। पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर ( Nanki Ram Kanwar ) ने जमीन मामले में एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया है कि यह एक ऐसा मामला है जिसमें बिल्डर ने पहले अपने ही लोगों के नाम पर भूमिहीन किसानों को आबंटित सरकारी जमीन कलेक्टर की अनुमति के बिना खरीद ली। बाद में उसे अपनी कंपनी के नाम ट्रांसफर करा लिया। अरबों की जमीन खरीदी-बिक्री का यह मामला पाटन में हुआ है। श्री कंवर की शिकायत के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मामले में पड़ताल के आदेश दिए हैं।
पूर्व गृहमंत्री ( Former Home Minister of Chhattisgarh ) ननकीराम कंवर ने वॉलफोर्ट सिटी नाम की कंस्ट्रक्शन कंपनी के संचालक पंकज लाहोटी के खिलाफ सारे दस्तावेज पुलिस और सीएम को सौंपा है। जिसमें यह बताया गया है कि बिल्डर ने अपने करीबी लोगों गोपाल सोनकर, राजीव सोनकर और तत्कालीन राजस्व अधिकारी घनश्याम शर्मा, पटवारी सनत पटेल के साथ मिलकर पाटन तहसील के ग्राम महुदा में करीब 38 एकड़ जमीन खरीदी है। जमीन की कीमत एक अरब 14 करोड़ से अधिक है। कंवर ने बताया कि 10 भूमिहीन किसानों को जीवन यापन करने के लिए सरकार ने 38 एकड़ सरकारी जमीन आबंटित की थी।
बिल्डर ने किसानों को आबंटित सरकारी जमीन भी खरीद ली
बताया गया कि पाटन इलाके में कई बड़ी कॉलोनियां बन रही हैं। यहां वॉलफोर्ट ग्रुप ने कॉलोनी बनाने के लिए बड़े पैमाने पर किसानों की जमीन खरीदी है। खास बात यह है कि बिल्डर ने किसानों को आबंटित सरकारी जमीन भी खरीद ली। नियमानुसार भूमिहीन किसानों को आबंटित जमीन खरीदने के लिए कलेक्टर की अनुमति जरूरी है। मगर, इस प्रक्रिया का पालन करने से बचने के लिए बिल्डर ने पहले अपने लोगों से जमीन खरीदी कराई और फिर उनसे वॉलफोर्ट सिटी के नाम पर ट्रांसफर करा लिया। पूर्व गृहमंत्री ने बताया कि जिन किसानों से जमीन खरीदी है उनमें मोहन, रामसिंह, गिरधर, सिलऊ, गोवर्धन, जगतपाल, डेहरा पिता सुखराम, कन्हैया, दुखवा और सुखऊ शामिल हैं।
रजिस्ट्री-राजस्व में भारी नुकसान
खरीदारों में बिल्डर पंकज लोहाटी के करीबी गोपाल सोनकर भी शामिल हैं, जिन्होंने जैनम बिल्डर्स के नाम पर कुछ जमीनें खरीदी। बाकी जमीन वसुंधरा आयुर्वेदिक अनुसंधान केन्द्र के नाम से राजू पिता शिव मूरत के नाम पर खरीदी हैं। पूर्व गृहमंत्री ने बताया कि उक्त जमीन की खरीदी के बाद वॉलफोर्ट को रजिस्ट्री न कर कंपनी टू कंपनी ट्रांसफर कर लिया। इससे रजिस्ट्री-राजस्व में भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकारी जमीन की बिक्री-हस्तांतरण स्वरूप परिवर्तन अयोग्य होता है, लेकिन बिल्डर ने सुनियोजित तरीके से करोड़ों का घोटाला किया है। शिकायत को मुख्यमंत्री बघेल ने गंभीरता से लेते हुए इस पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं।