रायपुर। अपने घर में पेड़ लगाने के इच्छुक लोगों को घर तक एक फोन के जरिए पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे। फिलहाल यह सेवा राजधानी रायपुर से शुरू की जाएगी। आने वाले समय में प्रदेश के हर जिलों में यह सुविधा उपलब्ध होगी। यह जानकारी प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने दी। प्रदेश में हरियाली को बढ़ावा देने हेतु वन विभाग ने यह योजना बनाई है। इसमें मनरेगा के तहत तैयार पौधों का निःशुल्क वितरण प्रारंभ किया जाएगा।

बिलासपुर संभाग में व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण और नरवा, गरूवा, घुरूवा, गौठान योजना के क्रियान्वयन के लिए शनिवार को कार्यशाला व समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। इसमें वृहद स्तर पर वृक्षारोपण के लिये पौधे वितरण का अभियान प्रारंभ करने और शत-प्रतिशत गौठानों और चारागाहों में वृक्षारोपण करने का निर्देश दिया। साथ ही नरवा विकास योजना के तहत वैज्ञानिक तरीके से नालों का ट्रीटमेंट करने का निर्देश दिया।

हर गौठान में लगेंगे 400 पेड़

इस दौरान संभाग के सभी जिला कलेक्टर, जिला पंचायत के  मुख्य कार्यपालन अधिकारी, डीएफओ को निर्देशित किया कि तय करें कि वे अपनी निगरानी में कितने पेड़ लगायेंगे। हर गौठान में कम से कम 400 और हर चारागाह में कम से कम 2000 पेड़ लगाये जायें। उन्होंने कलेक्टरों को इसकी माॅनिटरिंग करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि लगाया गया हर पेड़ जीवित रहे यह भी सुनिश्चित करें।
श्री मंडल ने नदी तट पर वृक्षारोपण के लिये पैच चिन्हांकित करने और वहां सघन वृक्षारोपण करने कहा। मनियारी, शिवनाथ, शबरी, खारून, अरपा नदी के तटों पर वृक्षारोपण किया जायेगा। अरपा नदी के तट पर बिलासपुर से लगे हुए पैच में सघन वृक्षारोपण करने कहा। जिसे ज्यादा से ज्यादा लोग देख सकें। उन्होंने बताया कि हरियर छत्तीसगढ़ योजना, मनरेगा और वन विभाग के विभागीय मद से प्लांटेशन किया जायेगा।

शहरों में बनेंगे सिटी फॉरेस्ट

वन विभाग के प्रभारी सचिव आर.पी.मंडल ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि हर जिले में 10-15 एकड़ जमीन चिन्हांकित कर सिटी फारेस्ट बनाया जाए। शहरों में बनाये जाने वाले सिटी फारेस्ट 2 अक्टूबर महात्मा गांधी जयंती तक बनकर तैयार हो जाये। ये सिटी फारेस्ट गांधी ऑक्सी टाउन के नाम से जाने जायेंगे।

नरवा विकास योजना के तहत नालों का उपचार

नरवा विकास योजना के तहत वैज्ञानिक तरीके से नालों का उपचार कर उसे खेती और जलस्तर बढ़ाने के लिये लाभदायक बनाया जायेगा। उन्होंने ऐसे नालों का चिन्हांकन करने का निर्देश दिया जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ मिले।

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