रायपुर। छत्तीसगढ़ ( Chhattisgarh ) में ऐसा पहली बार हुआ है कि एक अंडे से राजनीति ( Serving Egg in mid day meal )  में उबाल आ गया है। जी हां इन दिनों छत्तीसगढ़ में अंडा राजनीति का मुद्दा बना हुआ है। जेसीसी जे विधायक धर्मजीत सिंह ने विधानसभा में अंडा वितरण का मामला शून्यकाल में उठाया है। उन्होंने साफतौर पर कहा कि स्कूलों में बच्चों को अंडा दिया जाना गैर जरूरी है। वर्ग संघर्ष की स्थिति मत बनने दीजिये, जिद्द से राजनीति नहीं होती।

आज अंडा तो कल बीफ!

धर्मजीत सिंह ने सदन में कहा कि कबीर और गुरू घासीदास की धरती को बचाना चाहिए। आज सरकार अंडा खाने कह रही है कल को बीफ खाने के निर्देश जारी कर देगी। इसपर मोहन मरकाम ने कहा कि सरकार ने अंडे का विकल्प रखा है। जिन्हें अंडा नहीं खाना है उनके लिए दूध की व्यवस्था की गई है। इसके बाद सदन में हंगामा मच गया। धर्मजीत सिंह ने कहा कि चुनाव में जाते हो तो कबीरपंथी समाज के सामने घुटने टेकते हो। आज जब समाज अंडा देने का विरोध कर रहा है, तो उन्हें आंखें दिखाई जा रही है। बीजेपी विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि राज्य में 35 लाख कबीरपंथी निवासरत हैं। इस समाज मे अंडा-मांसाहार प्रतिबंधित है। समाज की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उनकी मांगों को सुना जाना चाहिए।

शराबखोरी के बाद अब अंडाखोरीः अमित जोगी

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ( Amit Jogi ) ने पहले ही ट्विटर पर अंडे को लेकर प्रदेश सरकार को निशाना बनाया है। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम को ट्विट करते हुए लिखा है कि वो अपने बच्चों को चाहें तो घरों में अण्डा खिला सकते हैं, लेकिन कबीर, सतनाम और गायत्री के अनुयायियों के बच्चों को वो स्कूल मे अण्डा नहीं खिला सकते। अमित जोगी ने अपने ट्विट में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार की आचोलना करते हुए कहा है कि प्रदेश की भूपेश बघेल की सरकार स्थानीय लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है। अमित जोगी ने प्रदेश की सरकार पर पहले ही शराबखोरी का आरोप लगाया था और अब उन्होंने अंडे के मुद्दे को अंडाखोरी का नाम दिया है।

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