रायपुर। आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Scheme) के राज्य नोडल अफसर विजेंद्र कटरे (Vijendra Katre) की नियुक्ति संबंधी गुम हुई फाइल नाटकीय अंदाज में मिली है। यह फाइल विभाग के ही एक लिपिक के पास मिली है। मगर इस मामले में इंशोरेंस लॉबी इस कदर हावी है कि इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। प्रदेश कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ ने इस पर आश्चर्य जताते हुए कहा है कि स्वास्थ्य विभाग में षडयंत्रकारी लोग बैठकर माफिया की तरफ काम कर रहे हैं। उनकी मांग है कि फाइल गायब करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

स्वास्थ्य विभाग ने पुलिस को दी थी जानकारी

इन दिनों स्वास्थ्य विभाग सुर्खियों में बना हुआ है। स्मार्ट कार्ड योजना के राज्य नोडल अफसर विजेंद्र कटरे की नियुक्ति और उससे जुड़ी फाइल गायब होने का मामला ही में सामने आया। स्वास्थ्य संचालक ने 13 मार्च 2019 को एसपी रायपुर को पत्र लिखकर अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज करने कहा था। पुलिस को जानकारी दी गई थी कि नियुक्ति संबंधी पूरी फाइल गुम हो गई है, काफी खोजबीन के बाद भी नहीं मिल रही है। ऐसा लग रहा है कि उस फाइल को किसी ने गायब कर दिया है। ऐसे में स्मार्ट कार्ड योजना के अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की जाए।

पुलिस ने कहा मामला हस्तक्षेप योग्य नहीं

गोलबाजार पुलिस ने इस पर स्वास्थ्य विभाग (Chhattisgarh Health Department) को वापस सूचित किया था कि यह मामला पुलिस हस्तक्षेप योग्य नहीं है। ऐसे में इस मामले पर सक्षम न्यायालय में कार्रवाई हो सकती है। एफआईआर के लिए पत्र लिखने के कुछ दिन बाद ही गुम फाइल के अचानक मिलने की खबर सामने आई। चर्चा रही कि स्मार्ट कार्ड योजना दफ्तर के एक लिपिक ने उस फाइल को खोज निकाली है, जो कटरे का करीबी है। इस मामले में प्रदेश कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ की अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता का कहना है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद राज्य नोडल अफसर विजेंद्र कटरे की संविदा नियुक्ति समाप्त कर दी गई। स्वास्थ्य संचालक ने सीआर न होने के कारण उनकी संविदा अवधि बढ़ाने से मना कर दिया था। बाद में उनकी नियुक्ति तो फाइल मिल गई, पर संबंधित कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

 

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