रायपुर।
रायगढ़ की सांसद गोमती साय ने नई दिल्ली (new delhi)में गृहमंत्री अमित शाह(home minister) से मिलकर जशपुर और रायगढ़(jashpur and raigarh) में हो रहे धर्मांतरण(conversion) के मुद्दे को उठाया। उन्होंने इस संदर्भ में गृहमंत्री को एक पत्र भी सौंपा। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि इन दोनों जिलों की 8 विधानसभाओं में बड़ी तादाद में आदिवासी समाज(tribles) के लोग निवास करते हैं, जिनको प्रलोभन देकर इसाई बनाया जा रहा है। जशपुर के महाराजा और केंद्रीय मंत्री दिलीप सिंह जूदेव की चर्चा करते हुए उन्होंने लिखा कि उनके मार्गदर्शन में इस पर काफी हद तक रोक लगी थी। उनकी मृत्यु के बाद फिर से मिशनरियों के धर्मांतरण का काम तेज हो गया। ऐसे में धर्मांतरण(conversion) के खिलाफ सख्त कानून बनाने की बात भी उन्होंने कही है।

पांव धोकर करवाते थे घर वापसी:
दिलीप सिंह जूदेव खुद अपने हाथ से आदिवासियों का पैर धोकर उनकी घर वापसी करवाते थे। इसकी वजह से उनको हिंदू हृदय सम्राट भी कहा जाता था। प्रदेश के आदिवासी उनको इतना चाहते थे कि वे बेखटके उनके बीच में चले जाते और पारंपरिक हथियारों से लैस आदिवासी अपने महाराज की सुरक्षा करने हमेशा खड़े रहा करते थे। सांसद गोमती साय की चिंता भी पूरी तरह जायज है। ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि धर्मांतरण रोकने के लिए सरकार कोई न कोई पहल जरूर करेगी।

मिशनरीज ने पसारे पांव:
इलाके के जानकार बताते हैं कि जहां आदिवासी समाज के लोग रहा करते थे। मिशनरियों ने बड़ी चालाकी से उनके बीच अपनी पैठ बढ़ानी शुरू कर दी। उनकी जरूरतों के छोटे-छोटे सामान देकर उनके बीच आना -जाना शुरू कर दिया।उसके बाद फिर धीरे-धीरे उनको धर्म की शिक्षा भी देनी शुरू कर दी जाती है। उसके बाद फिर उनके सामने शर्त रखी जाती है कि वे इसाई धर्म को स्वीकार कर लें। गरीब और भोलेभाले आदिवासी उनके चंगुल में आसानी से फंस जाते हैं। यही कारण है कि ये लोग उनका धर्म स्वीकार कर लेते हैं। सांसद गोमती साय की चिंता भी पूरी तरह जायज है। ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि धर्मांतरण रोकने के लिए सरकार कोई न कोई पहल जरूर करेगी।

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