रायपुर। रायपुर डेवलपमेंट अथारिटी(rda) में अफसरशाही(officers) किस कदर रिश्तेदारी(reletives) निभा रही है। इसका एक और नमूना सामने आया है। यहां 32 कर्मचारियों(worker) के प्लेसमेंट(placement) का टेंडर निकाला गया था। इनमें कम्प्यूटर आपरेटर(computer operator) और चतुर्थ वर्ग(4th class) के कर्मचारी रखे जाने थे। इन सभी को कलेक्टर के रेट पर वेतन भुगतान किया जाना था। तो वही सेवाप्रदाता कंपनी को 4 प्रतिशत सेवा शुल्क भी दिया जाता। मुख्य अभियंता और तत्कालीन सीईओ महादेव कावरे ने अपने रिश्तेदारों और चहेतों को प्लेसमेंट के माध्यम से सेवा में ले लिया। ऐसे कर्मचारियों की संख्या अब 150 के ऊपर पहुंच चुकी है। जो लिस्ट टीआरपी के पास मौजूद है। उसके क्रमांक 72 पर दर्ज नाम विजय उइके पूर्व सीईओ का भांजा है।

अधिकारियों के बंगलों में कर रहे काम:
आलम ये है कि जो कर्मचारी श्रमिक जो योजनाओं में संलग्न बताए जा रहे हैं वे अधिकारियों के घरों में काम करते हैं । इससे साफ जाहिर होता है कि न्यू रायपुर डेवलपमेंट अथारिटी में अफसरशाही किस कदर हावी हो चली है। तो वहीं दूसरा और सबसे अहम सवाल ये भी है कि अपने अयोग्य रिश्तेदारों को उपकृत करने के लिए दूसरे योग्य युवाओं को दरकिनार क्यों किया जा रहा है?
अफसरों के बंगलों में कर रहे काम:
मजेदार बात तो ये कि जिन कर्मचारियों को कम्प्यूटर आॅपरेटर, चतुर्थश्रेणी कर्मचारी के रूप में भर्ती किया गया है। वे अफसरों के बंगलों में काम करते हैं। ऐसे में सारे कायदे-कानून यहां ताक पर नजर आ रहे हैं। इसको लेकर न तो सरकार कुछ बोलने को तैयार है और न ही उसके जिम्मेदार आला अधिकारी। पर्दे की आड़ में धुआंधार खिलवाड़ चल रहा है। तो वहीं अच्छे घरों के बच्चे भी मजबूरन किसी दूसरे के घर में बर्तन धोने और पोंछा लगाने का काम कर रहे हैं।

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