लखनऊ। कभी संजय गांधी(sanjay gandhi) और राजीव गांधी(rajiv gandhi) के साथी रहे अमेठी के राजा डॉ. संजय सिंह (king of amethi Dr Sanjay Singh) ने आज कांग्रेस और राज्यसभा (regine from congress and rajyasabha membership) की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही उन्होंने घोषणा(announce) किया कि वे बुधवार को भाजपा (join BJP) में शामिल होंगे। इससे पहले भी वे एक बार भाजपा में जा चुके हैं। ये भारतीय जनता पार्टी में उनकी दूसरी पारी होगी। यहां हम आपको ये भी बता दें कि इस बार हुए लोकसभा चुनाव में वे सुल्तानपुर संसदीय सीट से मैदान में उतरे तो जरूर थे मगर अपनी जमानत भी नहीं बचा सके।
एक साल बचा था कार्यकाल:
डॉ. संजय सिंह असम से राज्यसभा सदस्य हैं और उनका कार्यकाल अभी एक साल का बचा हुआ था। इसके बावजूद उन्होंने राज्यसभा और कांग्रेस छोड़ने का ऐलान कर दिया। संजय गांधी के दोस्त रहे संजय सिंह ने अपनी राजनीतिक पारी का आगाज कांग्रेस से ही किया था, लेकिन राममंदिर आंदोलन के दौरान कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे।
मोदी के साथ पूरा देश, इसी लिए मैं भी : संजय
संजय सिंह ने इस्तीफे के बाद कहा कि ‘मैं कांग्रेस इसलिए छोड़ रहा हूं क्योंकि कांग्रेस नेतृत्व जीरो हो गया है। मैं ‘सबका साथ सबका विकास’ के कारण नरेंद्र मोदी का समर्थन करता हूं। ‘कांग्रेस अभी भी अतीत में है, उसे भविष्य का पता नहीं है। आज पूरा देश पीएम मोदी के साथ है और अगर देश उनके साथ है तो मैं भी उनके साथ हूं। कल मैं बीजेपी ज्वॉइन करूंगा। मैंने पार्टी और राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया है। ‘
संजय सिंह 1998 में अमेठी संसदीय सीट से कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा को हराकर सांसद चुने गए थे। इसके बाद वो अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे। राहुल गांधी के कांग्रेस में एंट्री करने के बाद उन्होंने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में वापसी की। 2009 के लोकसभा चुनाव में संजय सिंह सुल्तानपुर सीट से सांसद चुने गए थे।
पहली पत्नी अमेठी से भाजपा विधायक:
संजय सिंह 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से नाराज हो गए थे, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें असम से राज्यसभा भेजा था। इसके चलते सुल्तानपुर सीट से उनकी दूसरी पत्नी अमिता सिंह चुनाव लड़ी थीं, लेकिन वो जीत नहीं सकीं। हालांकि संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह मौजूदा समय में अमेठी से बीजेपी की विधायक हैं।

संजय सिंह की पत्नी अमिता सिंह ने भी कांग्रेस छोड़ दी है। अमिता सिंह आॅल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस (यूपी) की अध्यक्ष थीं। संजय सिंह ने कहा, ‘1984 से कांग्रेस के साथ रिश्ता है। पार्टी छोड़ने का फैसला कांग्रेस को किसी भी तरह प्रभावित नहीं करेगा। पिछले 15 साल में कांग्रेस में जो कुछ हुआ, वह पहले कभी नहीं हुआ। बहुत कुछ सोचने के बाद मैंने यह निर्णय लिया है। ‘ इस फैसले से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की मुहिम को जोरदार  झटका लगा है। तो वहीं उत्तर प्रदेश को ही दिल्ली की सत्ता का द्वार कहा जाता है। ऐसे में अब ये सवाल भी उठना शुरू हो गया है कि क्या कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपनी साख बचा भी पाएगी या नहीं।

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