रायपुर। कांग्रेस सरकार की योजनाओं(Congress government plans) पर उंगली उठाने के पहले, कुछ कहने से पहले अपने गिरेबां में झांके भाजपा नेता(ledars of BJP)। शुक्रवार को ये बातें कृषि मंत्री रविंद्र चौबे (agriculture minister ) ने कही। उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (chiefminister bhupesh baghel)के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की सरकार(government of chhattisgarh) हर क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 20 हजार करोड़ रुपए धान खरीदी के रूप में किसानों के खाते में डाले। 12 हजार करोड़ की कर्जमाफी की। प्रदेश में बीमा करवाने वाले किसानों की तादाद भी इस बार बढ़ेगी। किसानों के धान का समर्थन मूल्य 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल किया।
मजबूत अर्थ व्यवस्था की नींव रखी सरकार ने:
कृषि मंत्री ने कहा कि नरवा, गरुआ, घुरवा, बाड़ी की मदद से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक मजबूत कृषि आधारित अर्थ व्यवस्था की नींव रखी है। तमाम गौठानों का निर्माण कराया गया है। तो वहीं प्रदेश में 33 सौ नालों को जिंदा रखने का प्रयास किया जा रहा है। इसके माध्यम से किसानों की बाड़ी में हरियाली लाने का प्रयास शुरू हो चुका है।
तो वहीं घुरुवा के माध्यम से कंपोस्ट खाद बनाई जानी भी शुरू हो चुकी है। जल्दी ही इसके भी सकारात्मक परिणाम सामने आने लगेंगे। इससे जैविक खेती के द्वार खुलेंगे।
छत्तीसगढ़ की रागी की विदेशों में मांग:
उधर कृषि विश्वविद्यालय के जानकार सूत्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ की रागी की पूरी दुनिया में मांग है। वैज्ञानिक इसकी ऐसी प्रजाति विकसित करने में लगे हैं जिसमें ज्यादा उपज हो। इसके अलावा दिल्ली में लगी प्रदर्शनियों में भी इसको लोग हाथोंहाथ ले रहे हैं। इसमें किसी भी प्रकार की रसायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं होने के कारण इसका स्वाद और गुणवत्ता दोनों ही बेहतरीन होते हैं।
सुगंधित चावलों के भी दीवाने:
छत्तीसगढ़ में कई प्रकार के सुगंधित चावल पाए जाते हैं। इनकी पूरे देश में मांग रहती है। वहीं दिल्ली, झारखंड जैसे राज्यों में इसके भी दीवाने बड़ी तादाद में मौजूद हैं। प्रदेश के दूबराज, विष्णुभोग जैसे चावल अपनी गुणवत्ता के कारण खूब बिक रहे हैं।
जैविक खेती की ओर छत्तीसगढ़:
नरवा, गरुआ घुरवा बाड़ी ही छत्तीसगढ़ की जैविक खेती की नींव(The foundation of organic farming of Chhattisgarh is Narva, Garua Ghurva Bari.) है। इससे जहां राज्य में रसायनिक खादों का उपयोग बंद होगा। वहीं अच्छी गुणवत्ता वाले कृषि उत्पाद भी मिलेंगे। उत्पाद अच्छे होंगे तो नि: संदेह ही दाम भी अच्छे मिलेंगे ही। इससे यहां के किसानों की माली हालत में भी सुधार आएगा।

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