रायपुर। भारत-पाकिस्तान से बढ़ते तनाव के बाद अब देश के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग कर रहे हैं कि वो जेट पॉवर्ड बोर्ड (Jet powered board) हमारे मार्कोस कमांडोज और पैरा मिलिट्री कमांडोज (Marcos and Para Military Commands) को चाहिए। इसके आ जाने से इनकी मोबिलिटी बढ़ जाएगी। क्योंकि जब वे 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अपने टॉरगेट पर झपटेंगे तो उसका बच पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने अपने एक ‘फ्लाइंग सोल्जर'(Flying soldier ) का वीडियो ट्विटर पर शेयर किया था। जो जेट पॉवर्ड बोर्ड (Jet powered board) के सहारे आटोमेटिक रायफल लेकर हवा में कलाबाजियां खा रहा था। उसका नाम कियाकी जपाटा बताया गया था।

क्या-क्या हो सकती हैं दिक्कतें:
सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर प्रदीप यदु कहते हैं कि इससे जवानों की मोबिलिटी बढ़ जाएगी। वहीं ये भी देखना जरूरी होगा कि यह कितनी ऊंचाई पर उड़ सकेगा? इसकी हवा में ठहरने की क्षमता कितनी होगी? ज्यादा ऊंचाई पकड़ने पर रडार की पकड़ में आने का भी खतरा है। तो वहीं इसकी आवाज कितनी है? अगर ज्यादा आवाज हुई तो फिर ये हमारे किसी काम का नहीं रह जाएगा।
टॉरगेट की दूरी और पॉवर बोर्ड की क्षमता:
मान लीजिए कि कोई टॉरगेट दिया गया जो 50 किलोमीटर दूर है, ऐसे में आने और जाने के बीच ही वहां आपरेशन के दौरान अगर थोड़ा सा ज्यादा वक्त लगा तो इसकी लौटने की क्षमता भी प्रभावित होगी। ऐसे में समस्या आ सकती है। वह भी ऐसे आपरेशन के लिए जहां सीक एंड डिस्ट्रॉय करना हो सीधे।
डीआरडीओ कर सकता है डेवलपमेंट:
भारत का डीआरडीओ अगर चाहे तो इससे भी बेहतर जेट पॉवर्ड बोर्ड(Jet powered board) डेवलप कर सकता है। जो हमारे कमांडोज की क्षमता के हिसाब से बनाए जा सकते हैं। ऐसे में अगर इन कमांडोज को घातक हथियार थमा दिए जाएं तो एक बार युध्द का परिदृश्य बदलने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। यहां हम ये भी बता दें कि ये जेट पॉवर्ड बोर्ड केरोसीन आयल से चलता है। ऐसे में अगर भारत खुद का जेट पॉवर्ड बोर्ड विकसित करता है तो वो इससे ज्यादा अत्याधुनिक और क्षमता वाला होगा। इसमें कोई दो राय नहीं है। इसके आ जाने से भारतीय सेनाओं की क्षमता में अभूतपूर्व ईजाफा होगा।