रायपुर। दंतेवाड़ा (Dantewada) बीजेपी विधायक भीमा मंडावी (Bhima Mandavi) हत्या की नक्सली हमले में हुई मौत की जांच रही न्यायिक आयोग (Judicial commission) की प्रारंभिक रिपोर्ट (Preliminary Report) सामने आई है। इस रिपोर्ट में पुलिस को क्लीन चिट दे दिया गया है। जांच आयोग के प्रारंभिक रिपोर्ट की मानें तो भीमा मंडावी की सुरक्षा में चूक नहीं थी। साथ ही किसी भी तरह की साजिश नहीं की गई थी।

न्यायिक जांच आयोग के चेयरमेन जस्टिस सतीश के अग्निहोत्री बुधवार को राजधानी रायपुर पहुंचे थे। रायपुर के पंडरी स्थित उपभोक्ता फोरम के दफ्तर में विशेष न्यायिक जांच आयोग की सुनवाई रखी गई थी। मगर वहां एक भी गवाह बयान दर्ज कराने नहीं पहुंचा।

अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को

जस्टिस सतीश के अग्निहोत्री ने बताया कि मामले में 11 लोगों की गवाही होनी थी लेकिन कुछ लोग दुर्घटना का शिकार हो गए, इस वजह से बयान देने नहीं पहुंच सके। उन्होंने बताया कि कमीशन की पहली इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट भी आ गयी है। प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक सुरक्षा में चूक नहीं थी। जस्टिस अग्निहोत्री ने अब तक की जांच रिपोर्ट में किसी भी तरह की साजिश से भी इंकार किया है। उन्होंने कहा कि कुछ बिन्दुओं पर अभी जांच होनी बाकी है। अब अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी।

9 अप्रैल को हुआ था नक्सली हमला

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नक्सलियों के हमले में भीमा मंडावी (Bhima Mandavi) की मौत हो गई थी। दंतेवाड़ा (Dantewada) से एक मात्र बीजेपी विधायक के काफिले को नक्सलियों ने निशाना बनाया था। नकुलनार इलाके में नक्सलियों ने इस घटना को अंजाम दिया था। भीमा मंडावी चुनाव प्रचार से वापस लौट रहे थे। इसी दौरान नक्सलियों ने उनके काफिले पर फायरिंग कर दी थी। वहीं इस मसले पर डीजी एंटी नक्सल ऑपरेशन गिरधारी नायक ने भी कहा था कि नक्सली मूवमेंट को लेकर विधायक भीमा मंडावी को पहले ही अलर्ट किया गया था।

डीजी गिरधारी नायक ने दावा किया था कि मंडावी को इन क्षेत्रों में न जाने की सलाह पहले ही दी गई थी। भीमा मंडावी की हत्या के बाद बीजेपी ने इस हमले को साजिश करार दिया था। वहीं इस मामले में राज्य सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दे दिए थे। 17 मई को केंद्र सरकार ने इस मामले की जांच एनआईए से कराने का फैसला लिया था।

जांच को लेकर उठा विवाद

बीजेपी विधायक भीमा मंडावी (BJP MLA Bhima Mandavi) की हत्या मामले में कांग्रेस सरकार और केंद्र सरकार के बीच मतभेद उभर आए थे। राज्य सरकार ने विधायक हत्याकांड की न्यायिक जांच कराने की बात कही थी, तो वहीं केंद्र सरकार ने इसकी जांच करने के लिए एनआईए को निर्देश दिए थे। राज्य सरकार ने केंद्र से कहा था कि वो एनआईए जांच पर पुर्नविचार करे।

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