रायपुर। बहुचर्चित मिक्की मेहता (Mikki Mehta) मौत मामले में मिक्की के भाई माणिक मेहता और मां श्यामा मेहता का 12 पन्नों का बयान पुलिस ने दर्ज किया। बयान लंबा होने की वजह से कल अधूरा रह गया था। इस वजह से आज भी सिविल लाइन थाने में बयान दर्ज होगा। माणिक मेहता ने कहा था कि मिक्की मेहता की मौत स्वाभाविक नहीं है। माणिक ने बयान में कई खुलासे किए हैं और पुलिस को केस से संबंधित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी सौंपे हैं।

पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर ने दिया दोबारा जांच के लिए आवेदन

माणिक मेहता ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि 18 साल तक पुलिस ने मुझसे बयान नहीं लिया था। माणिक ने पुलिस को बयान दिया है कि मिक्की मेहता की मौत संदिग्ध परिस्थियों में हुई थी। कथित जहर खाने की वजह से उनकी मौत होना कहा गया, जबकि यह खुदकुशी नहीं बल्कि हत्या है। बता दें कि 7 सितंबर 2001 को डाक्टर मिक्की मेहता रायपुर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मुकेश गुप्ता (IPS Mukesh Gupta) के सरकारी आवास में संदेहास्पद परिस्तिथियों में मृत पायी गयी थी। प्रदेश में कांग्रेस सरकार आने के बाद पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलकर मिक्की मेहता की मौत की दोबारा जांच के लिए आवेदन दिया था। इसके बाद डीजीपी ने जांच का आदेश रायपुर आइजी को दिया था। इसी क्रम में माणिक मेहता को पुलिस ने बयान दर्ज कराने बुलाया था।

9 बिंदुओं में जांच रिपोर्ट

पुलिस (Police) सूत्रों ने बताया कि मिक्की मेहता की संदिग्ध मौत के मामले में अस्पताल के डाक्टर, कर्मचारियों के अलावा ड्राइवर का बयान दर्ज किया जाएगा। सभी को नोटिस देकर तलब किया गया है। मिक्की की बेटी मुक्ता और मां श्यामा मेहता से भी केस से जुड़ी जानकारी ली जाएगी। मिक्की मेहता मौत की जांच रिटायर डीजी गिरधारी नायक को दी गई थी। उन्होंने जांच के दौरान केस में कई तरह की खामियां पाई। उन्होंने 9 बिंदुओं में रिपोर्ट तैयार की।

  • प्रकरण की तत्कालीन सरकार ने कार्यपालिक दंडाधिकारी से जांच क्यों नहीं कराई?
  • दुर्ग पुलिस ने केस की जांच क्यों, जबकि घटना रायपुर का था?
  • मिक्की मेहता ने किस दुकान या मार्केट से जहर खरीदा था, उनके ड्राइवर ने यह क्यों नहीं बताया?
  • मिक्की की हालत बिगड़ने पर उन्हें मेकाहारा की जगह भिलाई के सेक्टर-9 अस्पताल क्यों ले जाया गया?
  • नजदीक में अस्पताल होने के बाद उन्हें वहां क्यों नहीं ले गए। 35-40 किलोमीटर का सफर एंबुलेंस में दो घंटे दस मिनट में तय किया गया।
  • केस डायरी में एम्बुलेंस के ड्राइवर का नाम, पता का भी उल्लेख नहीं है।
  • जांच को पांच महीने के लिए क्यों रोका गया।
  • रायपुर में सबसे पहले जिस अस्पताल में ले जाया गया, वहां के संचालक डॉ. सलीम के अनुसार पुलिस ने उन्हें लिखित में सूचना दी थी, जो रिकॉर्ड में नहीं है। 
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