रायपुर। प्रदेश के बहुचर्चित नान घोटाले (Nan scam) के मुख्य आरोपी शिवशंकर भट्ट (Shivshankar Bhatt) के कोर्ट में शपथ पत्र देने के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल आ गया है। इधर राजधानी में प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर शिवशंकर भट्ट (Shivshankar Bhatt) ने न्याय की गुहार लगाते हुए वास्तविक दोषियों पर कार्यवाही की बात कही है। शिवशंकर ने कहा कि नान घोटाला 36 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला है, इस पर मैं न्याय चाहता हूं। जो वास्तविक दोषी हैं, जिन्होंने जनता का हक मारा उन पर कार्रवाई हो।

एसआईटी ने सरकारी गवाह बनने का ऑफर दिया

उन्होंने कहा कि रमन सिंह, लीलाराम भोजवानी और पुन्नूलाल मोहले घोटाले के मास्टरमाइंड है। मुझे सरकारी गवाह बनने का एसआईटी (SIT) ने ऑफर दिया, मैने उसे स्वीकारा उसके बाद कोर्ट में शपथपत्र दिया। उन्होंने कहा कि आम जनता जाने कि सच्चाई क्या है? इसलिए सच सामने लाया हूं। नान घोटाले का पैसा बीजेपी (BJP) कार्यालय में भी पहुंचा है। साढ़े चार साल तक जेल में रहा इसलिए सच सामने नही ला सका। उन्होंने अपने जान का खतरा बताते हुए कहा कि इस संबंध में उन्होंने पुलिस अधीक्षक से भी बात की है।

 PC में बोले शिवशंकर- SIT के ऑफर पर बना सरकारी गवाह, इन्हें बताया NAN SCAM का मास्टरमाइंड
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राशन घोटाले को उजागर किया, इसलिए नान घोटाले का ठीकरा मुझ पर फोड़ा गया

शिवशंकर भट्ट (Shivshankar Bhatt) ने कहा कि मैंने राशन घोटाले को उजागर किया, इसलिए नान घोटाले (Nan scam) का ठीकरा मुझ पर फोड़ा गया। राशन घोटाले को छुपाने के लिए नान में छापा मरवाया गया। 10 लाख टन चावल का अतिरिक्त उपार्जन का दबाव डाला गया। 2014 में ऐसी क्या स्थिति बन गई कि नान पर अतिरिक्त उपार्जन का दबाव डाला गया। दबावपूर्वक हमें आदेश हुआ, शासन का आदेश था इसलिए हम मजबूर थे।

नौकरी से निकाल देने की धमकी दी गई

सितंबर 2013 चुनाव के ठीक पहले 72 लाख राशनकार्ड बना दिया गया। रातों रात चावल सप्लाई का आदेश हमें दिया गया। जब हमने इस पर सवाल उठाया तो हमें नौकरी से निकाल देने की धमकी दी गई। शिवशंकर भट्ट ने तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह पर अतिरिक्त चावल उपार्जन के लिए दबाव डालने की बात कहते हुए कहा कि साढ़े चार साल में मैंने बहुत कुछ खोया है। मैंने कोई दबाव में शपथपत्र नहीं दिया। मैं अपनी मर्जी से यहां आया हूं।

रमन सिंह ने मुझे आदतन अपराधी कहा, कानूनी कार्रवाई करूँगा

उन्होंने कहा कि सच सामने लाना बहुत जरूरी था। रमन सिंह ने मुझे आदतन अपराधी कहा है, इस पर कानूनी कार्रवाई करूँगा। 36000 करोड़ रुपए के घोटाले को नान घोटाला (Nan scam) बता दिया गया जबकि उस समय राज्य का बजट उतना था ही नहीं तो नान के बजट का सवाल ही पैदा नहीं होता। 2014 में ऐसी क्या स्थिति बन गई थी कि 10 लाख टन धान जबर्दस्ती खरीदी कराई गई।

51 लाख के जगह 72 लाख राशन कार्ड बना दिए गए

उन्होंने कहा कि सितंबर 2013 चुनाव के ठीक पहले 51 लाख के जगह पर 72 लाख राशन कार्ड बना दिए गए। गांव में एक घर पर चार दरवाजे बना कर एक परिवार के लिए 4 – 4 राशन कार्ड बना दिये गए। हम पर दबाव बनाकर जबरन ही राशन बंटवाए गए। विधानसभा चुनाव के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि 12 लाख राशन कार्ड फर्जी हैं, जबकि हमने कहा था कि 21 लाख फर्जी कार्ड हैं। निरस्त करने की बात कही गई, लेकिन आज तक कार्ड निरस्त नहीं हुए। क्योंकि इन फर्जी राशन कार्डों के जरिए कमाई की जाती थी।

चार महीने तक डॉ. रमन सिंह का ओएसडी रहा

उन्होंने बताया कि एक अप्रैल को नान का गठन हुआ था। नान एक छोटी सी संस्था है। नान के 120 डिपो से 12000 दुकानें संबंध हैॆ। नान का काम केवल स्टोरेज से दुकानों तक माल पहुंचाना है। इसके वितरण या रखरखाव की जिम्मेदारी नान की नहीं है। मैने योजना बनाई कि छत्तीसगढ़ में पैदा होने वाले धान को चावल बनाकर लोगों को पीडीएस के तहत उपलब्ध कराएं। मैं चार महीने तक डॉ. रमन सिंह का ओएसडी भी रहा हूं। 16 अप्रैल 2002 से राज्य में यह स्किम चालू की गई, जिसके बाद राज्य के गरीबों को राज्य का ही चावल मिलना शुरू हुआ।

कैग की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ था

नान में चार तरह की ऑडिट होती है, कैग की रिपोर्ट में खुलासा भी हुआ था कि नान में घाटा नहीं बल्कि मुनाफा हुआ है। उस वर्ष भी मार्कफेड को 400- 450 करोड़ दिया गया। मुझे रमन सिंह आदतन अपराधी बताते हैं, यदि मैं आदतन अपराधी हूं तो इतने सालों तक इतने बडे पदों पर कैसे रह सकता हूं। अभी भी मामला हाईकोर्ट में पेंडिंग है, इसके बाद भी मुझे आदतन अपराधी कहते हैं। मेरे साथ फंसे हुए 11 साथी को जमानत दे दी गई लेकिन मुझे जमानत नही मिली। मैने बोलना शुरू किया इसलिए मुझे अंदर डाल दिया गया।

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