रायपुर। दंतेवाड़ा उपचुनाव (Dantewada by-election) में 16 वें राउंड की गिनती पूरी हो चुकी है और कांग्रेस प्रत्याशी देवती कर्मा (Devti karma) जीत की तरफ बढ़ चुकी है। देवती कर्मा 9,937 मतों से आगे चल रही है। 11 दिसंबर 2018 को विधानसभा चुनाव में भाजपा भीमा मंडावी ने जीत दर्ज की थी नक्सली हमले में भीमा मंडावी के शहीद हो जाने के बाद दंतेवाड़ा सीट खाली हो गई थी और उपचुनाव में भाजपा ये मानकर चल रही थी कि भीमा मंडावी की पत्नी ओजस्वी मंडावी को मैदान में उतारने से सहानुभूति का फायदा मिलेगा।

लेकिन कांग्रेस के मुखिया भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व, चुनावी प्रबंधन , कार्यकर्ताओं की मेहनत की वजह कांग्रेस ने बस्तर से भाजपा का सूपड़ा साफ कर दिया है। जबकि 2008 और 2013 के चुनाव में भाजपा के गढ़ के रूप में बस्तर उभर कर सामने आया था।

भाजपा की हार के कारण

दंतेवाड़ा उपचुनाव में भाजपा संगठन बिखरा हुआ नज़र आया, भाजपा के कार्यकर्ता में उदासीनता दिखी जिसका असर ये रहा कि 11 दिसंबर 2018 की मतगणना में जिन बूथ पर भाजपा को 40 से 50 फीसदी वोट मिले थे वहां पर इस चुनाव में आधे मत नहीं मिले है।
दंतेवाड़ा उपचुनाव में हार की दूसरी वजह पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह की बिगड़ी छवि भी रही।

डॉ रमन सिंह विधानसभा चुनाव में चाउर वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध् थे लेकिन इस चुनाव में चुनाव के पहले जिस तरह से उनका और उनके परिवार का नाम नान, अंतागढ़ उपचुनाव में प्रत्याशी खरीद में सामने आया उससे जनता के बीच डॉ रमन सिंह की छवि धूमिल हो गई वहीं कांग्रेस के मुखिया सीएम भूपेष बघेल की छवि ठेठ छत्तीसगढ़िया की मजबूत होती चली गई।

कांग्रेस प्रत्याशी की जीत के प्रमुख कारण

दंतेवाड़ा उपचुनाव जीतने के पीछे प्रदेश सरकार के मुखिया भूपेश बघेल, प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया, प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम की अहम भूमिका है। सीएम भूपेश बघेल दंतेवाड़ा में धुआंधार प्रचार और रोड शो कर प्रदेश सरकार की 9 महीने की उपलब्धि गिनाकर जीतने में कामयाब रहे।

पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने झोंकी ताकत

प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने कर्मा परिवार की आपसी खीचतान को खत्म कर एक होकर चुनाव लड़ने के लिए रणनीति को बेहतर तरीके से अंजाम दिया, वहीं प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने देवती कर्मा को जिताने के लिए दंतेवाड़ा में डेरा डालकर पूरी ताकत झोंक दी। मोहन मरकाम द्वारा पूरी ताकत झोंकने के पीछे की वजह ये भी है कि प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उनके नेतृत्व में ये पहला चुनाव था अगर ये चुनाव कांग्रेस हारती तो उनके राजनीतिक भविष्य पर प्रश्न खड़े होते।

दंतेवाड़ा उपचुनाव में कांग्रेस की जीत पर कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि कांग्रेस शीर्ष नेतृ्व से लेकर जमीनी कार्यकर्ताओं ने जमकर मेहनत की, जिसका नतीजा है कि काग्रेस ने दंतेवाड़ा उपचुनाव जीतकर बस्तर से भाजपा का सूपड़ा साफ कर दिया।

भाजपा चुनाव प्रबंधन के मास्टर बृजमोहन अग्रवाल को दूर रखा गया

दंतेवाड़ा उपचुनाव की हार की तीसरी वजह भाजपा चुनाव प्रबंधन के मास्टर बृजमोहन अग्रवाल को दूर रखा गया जबकि राजनीतिक पंडित ये मानते है कि भाजपा में बृजमोहन अग्रवाल से बेहतर चुनाव प्रबंधक पार्टी में नहीं है। अगर बृजमोहन अग्रवाल को कमान दी गई होती तो तस्वीर कुछ और होती।

दंतेवाड़ा उपचुनाव हार की चौथी वजह ये भी है कि भाजपा के बस्तर के कद्दावर नेता अंदरूनी रूप से नहीं चाहते थे की ओजस्वी मंडावी जीते इसके पीछे की ये वजह बताई जा रही है कि भाजपा के कद्दावर नेता 2018 विधानसभा में हार चुके थे और ओजस्वी मंडावी के जीतने से उनका बस्तर में कद कम होता इसलिए भी बस्तर के नेता दिखावे की मेहनत करते नज़र आये।

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