रायपुर। नवरात्रि (NAVRATRI) का पर्व आज से प्रारम्भ हो गया है। देवी मंदिरों में नवरात्रि (NAVRATRI) के पहले दिन यानि आज भक्तों की आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। पूरे देश में नवरात्रि (NAVRATRI) के पर्व की धूम देखने को मिल रही है। इसी कड़ी में राजधानी के प्रमुख स्थानों और चौक-चौराहों पर आकर्षक पंडाल सजाकर माता की प्रतिमाएं स्थापित कर पूजा-अर्चना शुरू कर दी गयी है। नवरात्रि (NAVRATRI) में व्रत रखने के साथ ही मां के दर्शन को भी बहुत ही शुभ माना जाता है।

भक्त गण दूर-दूर से मां के मंदिर में माता टेकने और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। उनका मानना है कि मां नवरात्रि में अपने पीहर आती हैं और हर तरफ हर्षोउल्लास का माहौल होता है। ऐसे में दिल से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। तो आइए जानते हैं उन जगहों के बारे में जहां जाकर आप नवरात्रि के इस अवसर को और भी खास बना सकते हैं।
माँ बम्लेश्वरी देवी मंदिर, छत्तीसगढ़
प्राचीन काल में यह स्थान कामावती नगर के नाम से विख्यात था। कहते हैं यहां के राजा कामसेन बड़े प्रतापी और संगीत-कला के प्रेमी थे। राजा कामसेन के ऊपर बमलेश्वरी माता की विशेष कृपा थी। उनके राज दरबार में कामकंदला नाम की अति सुंदर राज नर्तकी और माधवानल जैसे संगीतकार थे। एक बार दोनों की कला से प्रसन्न होकर राजा ने माधवानल को अपने गले का हार दे दिया। माधवानल ने इसका श्रेय कामकंदला को देते हुए वह हार उसको पहना दिया। इससे राजा ने अपने को अपमानित महसूस किया और गुस्से में आकर माधवानल को राज्य से बाहर निकाल दिया। इसके बावजूद कामकंदला और माधवानल छिप-छिपकर मिलते रहे।
एक बार माधवानल उज्जैन के राजा विक्रमादित्य की शरण में गए और उनका मन जीतकर उनसे पुरस्कार स्वरूप कामकंदला को राजा कामसेन से मुक्त कराने की बात कही। राजा विक्रमादित्य ने दोनों के प्रेम की परीक्षा ली और दोनों को खरा पाकर कामकंदला की मुक्ति के लिए पहले राजा कामसेन के पास संदेश भिजवाया। राजा के इनकार करने पर दोनों के बीच युद्ध छिड़ गया। दोनों वीर योद्धा थे और एक महाकाल का भक्त था तो दूसरा विमला माता का। दोनों ने अपने-अपने इष्टदेव का आह्वान किया तो एक ओर से महाकाल और दूसरी ओर भगवती विमला मां अपने-अपने भक्तों की सहायता करने पहुंचे।
युद्ध के दुष्परिणाम को देखते हुए महाकाल ने विमला माता से राजा विक्रमादित्य को क्षमा करने की प्रार्थना की और कामकंदला और माधवानल को मिलाकर वे दोनों अंतध्र्यान हो गए। वही विमला मां आज बमलेश्वरी देवी के रूप में छत्तीसगढ़ वासियों की अधिष्ठात्री देवी हैं। अतीत के अनेक तथ्यों को अपने गर्भ में समेटे ये पहाड़ी अनादिकाल से जगत जननी मां बमलेश्वरी देवी की सर्वोच्च शाश्वत शक्ति का साक्षी है। मां बमलेश्वरी के आशीर्वाद से भक्तों को शत्रुओं को परास्त करने की शक्ति मिलती है। साथ ही विजय का वरदान मिलता है। मुश्किलों को हर कर मां अपने भक्तों को मुश्किलों से लडऩे की रास्ता दिखाती हैं।
मंशा देवी मंदिर, उत्तराखंड
मंशा देवी मंदिर, हरिद्वार के पास झुंझुनू गांव में बसा है। इस मंदिर के नाम के पीछे मान्यता है कि मां दुर्गा यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करती हैं। 1975 में इस मंदिर को सेठ सूरजमलजी ने बनवाया था। मां दुर्गा ने उनके सपने में आकर इस मंदिर को बनाने की इच्छा जताई थी। 41 कमरे, श्री लंबोरिया महादेवजी मंदिर, श्री लंबोरिया बालाजी मंदिर और सिंहद्वार वाले इस मंदिर में सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है।
मैहर माता, मध्य प्रदेश
एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल मैहर मध्य प्रदेश के सतना जिले का एक छोटा सा नगर है। मैहर में शारदा मां का प्रसिद्ध मन्दिर है जो कैमूर तथा विंध्य की पर्वत श्रेणियों पर तमसा नदी के तट पर त्रिकूट पर्वत की पर्वत मालाओं के बीच 600 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यह ऐतिहासिक मंदिर 108 शक्ति पीठों में से एक है। अगर ऐतिहासिक कथाओं पर विश्वास करें तो प्रसिद्ध ऐतिहासिक नायक आल्हा और ऊदल दोनों भाई मां शारदा के अनन्य उपासक थे।
यहां पर्वत की तलहटी में आल्हा का तालाब व अखाड़ा आज भी विद्यमान है। वैसे तो यहां प्रतिदिन हजारों दर्शनार्थी आते हैं किंतु वर्ष के दोनों नवरात्रों में यहां मेला लगता है जिसमें लाखों भक्तों की भीड़ मैहर आती है। इस स्थान पर मां शारदा के बगल में स्थापित नरसिंहदेव जी की पाषाण मूर्ति आज से लगभग 1500 वर्ष पुरानी है। यह कहा जाता है कि जब शिव मृत देवी का शरीर ले जा रहे थे, उनका हार इस जगह पर गिर गया और इसलिए नाम मैहर यानि माई का हार पड़ गया।
अंबा माता मंदिर, गुजरात
गुजरात के जूनागढ़ का अंबा माता मंदिर में माथा टेकने दुनियाभर से भक्त आते हैं। मंदिर बहुत ही खूबसूरत है। गिरनार पर्वत और उसके आसपास का नज़ारा मंदिर को बनाता है और भी बेहतरीन। नव विवाहित जोड़े अपनी खुशहाल जिंदगी की कामना लेकर माता के दर्शन को आते हैं। मंदिर की सबसे ऊंचाई पर पहुंचकर आप यहां के सबसे खूबसूरत नज़ारे को देख सकते हैं।
वैष्णो माता, जम्मू-कश्मीर
इसी तरह का एक अन्य स्थान वैष्णो देवी मंदिर है, जो आद्य शक्ति को समर्पित एक पवित्र मंदिर माना जाता है। ये भारत के जम्मू और कश्मीर में पहाड़ी पर स्थित है। हिंदू धर्म में वैष्णो देवी, जो माता रानी और वैष्णवी के रूप में भी जानी जाती हैं, देवी मां का अवतार हैं। यह मंदिर, जम्मू जिले में कटरा नगर से लगभग 12 किलोमीटर दूर 5,200 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। हर साल लाखों तीर्थयात्री मंदिर का दर्शन करते हैं।
ऐसा मन जाता है कि रामायण काल में राम ने त्रिकुटा से उत्तर भारत में स्थित इन्हीं माणिक पहाड़ियों की त्रिकुटा श्रृंखला में अवस्थित गुफ़ा में ध्यान में लीन रहने के लिए कहा था। उसी समय रावण के विरुद्ध श्री राम की विजय के लिए मां ने नवरात्रि मनाने का निर्णय लिया। इसलिए भक्त, नवरात्रि के 9 दिनों की अवधि में रामायण का पाठ करते हैं। श्री राम ने वचन दिया था कि समस्त संसार द्वारा मां वैष्णो देवी की स्तुति गाई जाएगी, त्रिकुटा, वैष्णो देवी के रूप में प्रसिद्ध होंगी और सदा के लिए अमर हो जाएंगी।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कोलकाता
कोलकाता के उत्तर में विवेकानंद पुल के पास दक्षिणेश्वर काली मंदिर स्थित है। यह मंदिर मां काली का विश्व में सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। भारत के सांस्कृतिक धार्मिक तीर्थ स्थलों में भी दक्षिणेश्वर काली मंदिर सबसे प्राचीन माना जाता है। मंदिर की उत्तर दिशा में राधाकृष्ण का दालान स्थित है। पश्चिम दिशा की ओर बारह शिव मंदिर बंगाल के अटचाला रूप में हैं। चांदनी स्नान घाट के चारों तरफ शिव के छ: मंदिर घाट के दोनों ओर स्थित हैं।
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