रायपुर। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में शराबबंदी का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। शराबबंदी के लिए बनी प्रशासकीय समिति (Administrative committee) की पहली बैठक में कई सदस्यों ने शराबियों की गणना का सुझाव दिया है। ऐसे में पहले छत्तीसगढ़ में शराबबंदी के लिए शराबियों की गणना की जाएगी, इसके बाद शराबबंदी होगी या नहीं इस पर मंथन किया जायेगा।
शराबियों का हिसाब फिर फैसला
ऐसे में ये तो साफ़ जाहिर हो गया है कि पहले छत्तीसगढ़ में शराबियों का हिसाब होगा फिर शराबबंदी का फैसला लिया जायेगा। यानि कहा जाये तो शराबबंदी में कुछ वक्त और लगने की सम्भावना है।
सरकार ने किया था वादा, लेकिन शराबबंदी पर फैसला नोटबंदी की तर्ज पर नहीं
इधर प्रशासकीय समिति की दूसरी बैठक में कार्ययोजना पर चर्चा होगी। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2018 के अपने घोषणापत्र में वादा किया था कि सत्ता में आने पर पूर्ण शराबबंदी की जाएगी, लेकिन अनुसूचित क्षेत्रों में शराबबंदी का अधिकार ग्राम समितियों को दिया जाएगा। हालांकि, सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह साफ किया कि शराबबंदी को नोटबंदी की तरह एक झटके में नहीं किया जाएगा। शराबबंदी से पहले उसका सामाजिक और आर्थिक प्रभाव का अध्ययन किया जाएगा। इसके लिए तीन कमेटी बनाने का फैसला हुआ।
सामाजिक समिति नहीं बनी
बता दें कि शराबबंदी को लेकर प्रशासकीय और राजनीतिक समिति बन चुकी है और इनकी एक-एक दौर की बैठक भी हो गई है। हालांकि सामाजिक समिति अभी नहीं बनी है। नौ अक्टूबर को प्रशासकीय समिति की बैठक में सदस्य पद्मश्री शमशाद बेगम, पद्मश्री फुलबासन बाई, सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा शर्मा और विधायकों ने यह सुझाव दिया था कि आबकारी विभाग के पास यह आंकड़ा तो होना ही चाहिए कि प्रदेश में कितने लोग शराब पीते हैं।
इस मामले में सदस्यों का कहना था कि जब शराबबंदी होगी, तब ऐसे लोग जो नियमित और ज्यादा मात्रा में शराब पीते हैं, उन पर नजर रखनी होगी। उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ेगा। सदस्यों ने दूसरा तर्क यह भी दिया कि जनजागरुकता अभियान चलाया जाएगा, तो अभियान के बाद कितने लोगों ने शराब छोड़ी, यह आंकड़ा निकाला जा सकेगा।
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