मुंबई/रायपुर। जब कामेडियन महमूद (Comedian mehmood) ने दी थी राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) को 5 हजार की टोकन मनी…. जी हां हेडलाइन पढ़कर आप शायद चौंक गए होंगे, लेकिन ये सच है। वैसे तो गांधी नेहरू परिवार के अनेक किस्से लोगों की जुबान पर रहते हैं और देश के सबसे रसूखदार परिवार से सभी लोग परिचय हैं। मगर हम जिन वाक्ये का जिक्र आपसे करने जा रहे हैं उसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है।
दून स्कूल से ही था अमिताभ और राजीव का गहरा याराना
ये बात उन दिनों की है जब देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और बालीवुड के शहंशाह, दादा साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित अमिताभ बच्चन दून स्कूल में साथ साथ पढ़ा करते थे। देश के दो महान शख्सियत में शुमार दोनों ज्यादा समय साथ ही गुजारा करते थे। स्कूल के दिनों से ही दोनों में गहरा याराना था। इसके पीछे दोनों की पारिवारिक पृष्ट भूमि का नाता रहा है।
पारिवारिक नाता बदल गया दोस्ती में
आपको पता ही होगा कि विख्यात साहित्यकार व मधुशाला के रचियता स्व हरिवंश राय बच्चन इलाहाबाद के प्रतिष्ठित परिवारों में गिने जाते रहे हैं और पंडित नेहरू की कर्मस्थली भी इलाहाबाद ही रही। ऐसे में दोनों परिवार की निकटता और ज्यादा बढ़ाने लगी।
कॅरियर की अलग अलग राह चुनी पर नहीं छुटा याराना
अब वापस आते ही उस मुकाम पर जिसकी शुरूआत हमने अपने हेडलाइन से की है; ये वाक्या उस वक्त का है जब स्कूल पढ़ाई पूरी होने के बाद दोनों दोस्त अपने अपने कॅरियर को संवारने में लगे थे। हालांकि बाद में आगे की पढ़ाई पूरी करने राजीव गांधी विदेश चले गए वहीं अभिताभ बच्चन ने मुंबई में सिने दुनिया की राह चुनी।
इसी दौरान मौका मिलने पर राजीव गांधी अपने जिगर दोस्त अभिताभ बच्चन से मिलने अक्सर मुंबई आते रहते थे। बॉलीवुड के शहंशाह उन दिनों मुंबई के सिने जगत में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। ऐसे में वे अक्सर फिल्मी दुनिया के बड़े प्रोड्यूसर व डायरेक्टर व कलाकारों के यहां जाया करते थे।
महमूद की जीवनी ‘अ मैन ऑफ मेनी मूड्स’ में है जिक्र
आपको बता दें कि इसी मुलाकात के सिलसिले में अनवर अली तथा मशहूर कॉमेडियन आगा के बेटे जलाल आगा से अमिताभ की गहरी दोस्ती हो गई थी। इस ग्रुप की पार्टियां मशहूर थीं, जिनमें शाम को अक्सर धूम मची रहती और ये तीनों सबको मदहोश छोड़ कर खामोशी से रवाना हो जाते। अनवर के भाई और प्रसिद्ध कॉमेडियन महमूद तथा उनकी बहन जुबैदा से भी अमिताभ की ख़ासी निकटता थी। हम जिस वाक्ये की बात कर रहे हैं उसका जिक्र महमूद की जीवनी ‘अ मैन ऑफ मेनी मूड्स’ के लेखक हनीफ जवेरी ने अपने किताब में किया है।
‘बॉम्बे टू गोवा’ की रिलीज़ से ऐन पहले अमिताभ एक गोरे-चिट्टे युवा को लेकर बंबई पहुंचे
उनके मुताबिक फिल्म ‘बॉम्बे टू गोवा’ की रिलीज़ से ऐन पहले अमिताभ एक गोरे-चिट्टे युवा को लेकर बंबई पहुंचे। यह दोस्त दिल्ली से उनके साथ आया था, जिसे बंबई में कोई काम था। अमिताभ उसे लेकर अपने दोस्त अनवर के घर भी मिलने पहुंचे।
उस वक्त तक महमूद कंपोज टेबलेट की लत का शिकार हो चुके थे और उसे लेने के बाद रात को अक्सर अर्ध निंद्रा जैसी स्थिति में रहते थे। अनवर ने उस नौजवान का महमूद से परिचय कराया, मगर वे कुछ समझ पाने की स्थिति में नहीं थे, अलबत्ता उन्होंने अनवर को पांच हजार रुपए दिए कि वह उस नौजवान को दे दें। आश्चर्यचकित से अनवर ने पूछा कि उसे यह राशि क्यों दे रहे हैं? तो महमूद बोले कि यह नौजवान अमिताभ से भी ज्यादा सुंदर और स्मार्ट है और एक दिन वह इंटरनेशनल स्टार बनेगा। यह महमूद के अगले प्रोजेक्ट में उसे लिए जाने की एडवांस राशि है। दिल्ली से आने वाला यह सुंदर युवा कोई और नहीं राजीव गांधी थे।
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