नई दिल्ली। अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की जड़े धीरे-धीरे गहरी होती चली गई। एक समय था जब भाजपा राम मंदिर के मुद्दे को लेकर ही सबसे आगे चल रही थी मगर फरवरी 2002 में जब चुनाव का समय आया तो भाजपा ने इसे अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल किए जाने से ही इन्कार कर दिया। दरअसल विपक्षी दल भाजपा पर ये आरोप लगा रहे थे कि भाजपा के पास चुनाव जीतने के लिए और कोई मुद्दा नहीं है।

इस वजह से भाजपा ने राम मंदिर मुद्दे को ही अपने घोषणापत्र से निकाल दिया। विश्व हिंदू परिषद ने भाजपा के इस निर्णय का साथ नहीं दिया, कहा कि वो राम मंदिर के लिए खुद ही सब कुछ करेंगे। उसी के बाद विहिप नेताओं ने घोषणा की कि वो अब कारसेवकों के साथ मिलकर 15 मार्च से मंदिर का निर्माण शुरु करेंगे।

विहिप ने की अपील, अयोध्या में जुटे कार्यकर्ता

विश्व हिंदू परिषद ने जब अयोध्या में मंदिर निर्माण शुरू करने की तारीख की घोषणा कर दी उसके बाद पूरे देश से हिंदू प्रेमी अयोध्या की ओर रवाना हो गए। एक समय ऐसा आया कि अयोध्या के सारे होटल, गेस्ट हाउस, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, धर्मशालाएं, यात्री निवास स्थल, हर की पैड़ी और फैजाबाद के सभी वीआईपी होटल सहित अन्य जगहों पर सिर्फ कारसेवक ही दिखाई दे रहे थे।

नगर निगम और पुलिस प्रशासन इन लाखों कार्यकर्ताओं को संभाल पाने में ही असहाय हो गया। चूंकि अचानक से इतने कारसेवक अयोध्या पहुंच गए थे इस वजह से उनके लिए वहां इंतजाम भी अपर्याप्त थे। रोजमर्रा के सामान भी मिलने मुश्किल हो गए थे। कारसेवकों की बढ़ती भीड़ को देखकर प्रशासन इनको दैनिक जरूरत की सुविधाएं मुहैया कराने में भी असमर्थ हो गया।

विहिप ने कारसेवकों से की वापस जाने की अपील

अयोध्या के 5 कोस और फैजाबाद के बस अड्डे और आसपास के दायरे में इतने कारसेवक जमा हो चुके थे कि अब और कारसेवकों के वहां पहुंचने के लिए जगह ही नहीं बची थी। इससे फैजाबाद प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। राजधानी लखनऊ तक संदेश भेजा गया, वहां से और मदद भेजी गई।

साथ ही विहिप नेताओं से भी मदद करने की अपील की गई कि वो अब और कारसेवकों को अयोध्या आने से रोकने की अपील करें, साथ ही जो लोग आ चुके हैं उनको भी उनके शहर वापस जाने के लिए कहा जाए जिससे स्थिति संभाली जा सके। प्रशासन के निर्देश पर विहिप ने कारसेवकों से वापस जाने के लिए कहा तब वो वापस लौटना शुरु हुए।

गुजरात के गोधरा में हुआ दर्दनाक कांड, फैली हिंसा

27 फरवरी 2002 को गुजरात में स्थित गोधरा शहर में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगने से 59 यात्री मारे गए जिनमें अधिकांश लोग हिन्दू बिरादरी से थे। इस घटना का आरोप मुख्य रूप से मुस्लमानों पर लगाया गया जिसके बाद गुजरात में 2002 के दंगे हुए। सरकार द्वारा नियुक्त एक जांच कमीशन का कहना था कि ट्रेन के कोच में आग लगने से दुर्घटना हुई थी लेकिन आगे चलकर यह कमीशन असंवैधानिक घोषित किया गया था। 28 फरवरी 2002 तक, 51 लोग आगजनी, दंगा और लूटपाट के आरोप में गिरफ्तार किए गए थे।

बाकी शहरों में भी फैली हिंसा

गुजरात के गोधरा कांड के बाद से कई अन्य शहरों में भी इसी तरह से सांप्रदायिक हिंसा की आग फैलने लगी। सरकार की ओर से इनकी रोकथाम के लिए पहले ही काफी कदम उठाए गए मगर कुछ जगहों पर फिर भी स्थिति नहीं संभाली जा सकी।

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