पंचकुला। हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणाम 2019 (Haryana Assembly Election Result 2019) की

तस्वीर लगभग स्पष्ट हो चुकी है। रुझान, परिणामों में तब्दील होते दिख रहे हैं, जिससे यहां त्रिशंकु विधानसभा

बनना लगभग तय है। जननायक जनता पार्टी (जजपा) 10 सीटों के साथ किंग मेकर की भूमिका के एकदम

निकट है। ऐसे में राज्य में अब सरकार बनाने की रस्साकसी काफी दिलचस्प होने वाली है।

 

शाम चार बजे तक हरियाणा चुनाव आयोग की वेबसाइट पर प्रदर्शित आंकड़ों के अनुसार भाजपा 39 सीटों

पर आगे दिख रही है। इसमें से 13 सीट पर उसकी जीत घोषित हो चुकी है, जबकि 26 सीट पर भाजपा

आगे है। वहीं कांग्रेस कुल 32 सीटों पर आगे दिख रही है। इसमें से 10 सीटों पर उसकी जीत घोषित हो

चुकी है, जबकि 22 सीटों पर कांग्रेस आगे चल रही है। जजपा 10 सीटों पर आगे चल रही है। इसमें से

पांच सीटों पर उसकी जीत की घोषणा हो चुकी है। शेष नौ सीटों पर अन्य आगे चल रहे हैं।

भाजपा को 7, कांग्रेस को 14 की जरूरत

जानकारों के अनुसार इन रुझानों में अब ज्यादा परिवर्तन होने वाला नहीं है। अगर यही रुझान परिणाम में तब्दील

होते हैं तो भाजपा को बहुमत का जादुई आंकड़ा (46 सीट) छूने के लिए 7 विधायकों का साथ चाहिए होगा। वहीं

कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए 14 और विधायकों का साथ चाहिए होगा। आंकड़ों से साफ है कि जजपा के बिना

किसी भी दल का सरकार बनाना लगभग असंभव होगा।

किंग मेकर दुष्यंत

अब सवाल उठता है कि जजपा सरकार बनाने के लिए किसे समर्थन देगी और किन शर्तों पर। जजपा के दुष्यंत चौटाला

शुरू से ही दावा कर रहे थे कि सत्ता की चाबी उन्हीं के हाथों में होगी।

सुबह के रुझानों में जब भाजपा 55 सीटों पर आगे दिख रही थी, तब भी दुष्यंत अपने दावों को लेकर आश्वस्त थे।

जैसे-जैसे रुझान में परिवर्तन आना शुरू हुआ, दुष्यंत के दावे मजबूत होते गए। जाहिर है कि किंग मेकर की

स्थिति में वह भी सरकार में बड़ी भूमिका की मांग करेंगे।

सरकार बनाने के लिए जोड़तोड़ शुरू

सरकार को समर्थन देने के लिए दुष्यंत चौटाला क्या शर्त रखेंगे ये तो अभी स्पष्ट नहीं है। बताया जा रहा है कि

कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा के बीच सरकार बनाने के लिए

फोन पर बातचीत हो चुकी है। हाईकमान ने उन्हें सरकार बनाने के लिए खुद फैसला लेने की खुली छूट दी है।

हरियाणा में सरकार बनाने के लिए भाजपा हाईकमान भी एक्टिव हो चुका है। बताया जा रहा है कि भाजपा

हाईकमान ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को दिल्ली बुला लिया है।

भाजपा-जजपा का समीकरण

भाजपा के लिए सबसे महत्वपूर्ण जजपा को बिना किसी बड़ी शर्त के साथ मनाने की होगी, ताकि वह आसानी

से सरकार बना सके। हालांकि, जजपा के लिए भाजपा का साथ आसान नहीं होगा। इसकी वजह दोनों पार्टियों

की पॉलिटिकल लाइन है। माना जाता है कि जाटों ने भाजपा के खिलाफ ही जजपा को किंग मेकर बनाया है।

जाटों की नाराजगी ही भाजपा के सिमटने की मुख्य वजह भी मानी जा रही है। लिहाजा जजपा को अपने

मतदाताओं की भावना के साथ सरकार में अपनी स्थिति का भी ख्याल रखना होगा। जजपा अगर भाजपा

के साथ जाती है तो दुष्यंत चौटाला को अधिकतम उपमुख्यमंत्री पद से ही संतोष करना होगा। हालांकि,

अभी जोड़तोड़ की राजनीति शुरू ही हुई है।

कांग्रेस-जजपा का समीकरण

जजपा अगर कांग्रेस को समर्थन देती है तो भी मौजूदा रुझानों के मुताबिक सरकार बनाने के लिए फिर

भी चार और विधायकों की जरूरत होगी। ये चार विधायक भी सरकार में अपनी भूमिका की शर्त रख

सकते हैं। जजपा के लिए कांग्रेस का साथ इसलिए भी मुफीद है क्योंकि कांग्रेस किसी भी शर्त पर राज्य

में सरकार बनाने को राजी हो सकती है। जैसा कि कांग्रेस ने कर्नाटक में जेडीएस के कुमार स्वामी को

मुख्यमंत्री बनाया था। इसी तरह कांग्रेस ने झारखंड में निर्दलीय विधायक मधुकौड़ा को मुख्यमंत्री बना

दिया था। ऐसे में दुष्यंत चौटाला कांग्रेस के साथ मुख्यमंत्री पद की शर्त रख सकते हैं। इसके अलावा

वह सरकार में कुछ मंत्री पद की भी उम्मीद कर सकते हैं।

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