रायपुर। भारत डॉट नेट परियोजना की कंसल्टिंग कंपनी टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड पर 190 करोड़ की पेनाल्टी वसूली की प्रक्रिया ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। चिप्स के अधिकारियों की मिलीभगत की वजह से छ महीने पहले दिये गये 190 करोड़ की पेनाल्टी के नोटिस पर आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

दरअसल मामला ये है कि छत्तीसगढ़ के दूरस्त अंचल में संचार सेवा को बेहतर करने के लिए भारत डॉट नेट परियोजना के क्रियांवयन के लिए छत्तीसगढ़ सरकार, चिप्स , भारत सरकार, डीडीएनए के बीच एमओयू हुआ था जिसमें चिप्स ने भारत डॉट नेट परियोजना के सफल क्रियांवयन के लिए टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड को टेंडर दे दिया। 2600 करोड़ के टेंडर में टाटा को प्रदेश में एक साल में काम को पूरा करना था लेकिन टाटा प्रोजेक्ट एक साल में काम पूरा नहीं कर सकी और टेंडर के शर्तों में कई उल्लंघन किये जिसपर चिप्स ने नई सरकार बनने के बाद टाटा को 190 करोड़ की पेनाल्टी का नोटिस तो जारी कर दिया लेकिन आज तक उसपर आगे की कार्रवाई नहीं की गई।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद ये उम्मीद की जा रही थी कि अफसरशाही पर लगाम लगेगी और भ्रष्टाचार, जनहितैषी प्रोजेक्ट पर कोई कोताही नहीं बख्सी जाएगी लेकिन चिप्स के अधिकारियों ने जिस तरह से टाटा प्रोजेक्ट पर पेनालटी की कार्रवाई पर चुप्पी साध रखी है तो सवाल तो उठता है कि ये रिश्ता क्या कहलाता है।

 

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