नैफेड की खरीदी से सरकार को एक साल में 20 करोड़ का चूना

रायपुर। खुदरा बाजार में जिस गुड़ की कीमत करीब 25-32 रुपए प्रतिकिलो है, उस गुड़ को मधुर योजना के

अंतर्गत छत्तीसगढ़ सरकार 48 रुपए के भाव से करोड़ों की कीमत में खरीदने की तैयारी में है। राज्य सरकार ने

बाकायदा नैफेड को टेंडर प्रक्रिया की जिम्मेदारी भी सौंप दी है। इधर गुड़ खरीदी मामले में गड़बड़झाला की

खबर तेजी से फैलता देख आनन-फानन में चंद दिनों के भीतर मधुर योजना के तहत गुड सप्लाई का टेंडर डाल

दिया गया।

 

इस पूरे मामले में गड़बड़ी का अंदेशा इस लिहाज से लगाया जा सकता है कि टेंडर डालने वालों में ऑटोमोबाइल

कंपनी का वही सिंडिकेट है, जिसके नाम से टेंडर होने से पहले ही मुख्यमंत्री और खाद्य मंत्री की तस्वीरों वाली गुड़

की थैली बनवा दी गयी। इधर इन सब उलझनों के बीच नैफेड के अधिकारियों ने माना है कि थैली का डिजाइन

खाद्य विभाग ही तैयार कराता है.

 

सीवीसी (CVC) की गाइडलाइन के अनुसार इस पूरे मसले में ध्यान देने वाली बात ये भी है कि कोई भी सरकारी या

गैर सरकारी संस्था को ये अधिकार नहीं है कि वह बाजार भाव से अधिक कीमत पर सामान खरीदी कर सके।

 

इस सन्दर्भ में एक महत्वपूर्ण विषय ये भी ध्यान देने योग्य है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने मधुर योजना अंतर्गत प्रतिमाह

1400 टन गुड़ खरीदी करने का लक्ष्य रखा है और सरकार 12 माह यानि 1 वर्ष तक टेंडर में पास कंपनी से गुड़ खरीदी

करेगी। इसी बीच बड़ा सवाल ये भी उठता है कि छत्तीसगढ़ राज्य में 1400 टन गुड़ की पैदावार प्रतिमाह के हिसाब से

1 साल तक आपूर्ति भला कैसे मुमकिन है?

 

आइये आंकड़ों से समझते हैं घोटाला होने की आशंका का गणित

छत्तीसगढ़ सरकार प्रतिमाह 1400 टन गुड़ खरीदने की तैयारी कर रही है. इसमें करीब 20 करोड के घोटाले की

आशंका पनपने लगी है. आंकड़ों से समझें तो प्रतिमाह 1400 टन गुड़ खरीदी यानि प्रति किलोग्राम के हिसाब से

14 लाख किलोग्राम गुड़ की खरीदी प्रतिमाह होनी है. इस लिहाज से अगर प्रति किलोग्राम में 12 रुपये के अतिरिक्त

व्यय के फिजूल खर्ची का हिसाब लगाएं, तो प्रतिमाह सरकार के राजस्व को 1 करोड़ 68 लाख का अतिरिक्त भार

पड़ेगा। ये तो महज एक महीने का अतिरिक्त भार है, यदि इस आंकड़े से साल के 12 महीने का हिसाब लगाएं तो

सरकार को करीब 20 करोड़ से अधिक के राजस्व का चूना एक साल में लगने के आसार हैं.

 

महंगे दर पर गुड़ खरीदी CVC की गाइडलाइन का उल्लंघन : बीकेएस रे

रिटायर्ड कृषि उत्पादन आयुक्त एवं आईएएस बीकेएस रे का कहना है कि महंगे दाम पर गुड़ की खरीदी सीवीसी के

गाइडलाइन का उल्लंघन है. दरअसल नियम ये कहता है कि कोई भी सरकारी या गैर सरकारी संस्था बाजार मूल्य से

महंगे दाम पर कोई भी वस्तु नहीं खरीद सकती।

 

कम दाम पर किसानों से गुड़ खरीद ले सरकार: प्रदीप दवे

कृषि विभाग के रिटायर्ड सचिव प्रदीप दवे का कहना है कि राज्य के किसान 25-32 रुपए किलो के दाम पर

गुड़ बेचने को तैयार है. ऐसे में किसानों की हितैषी वर्तमान सरकार एक रेट फिक्स कर प्रदेश के किसानों को

लाभ पहुंचा सकती है. इस प्रक्रिया के तहत राज्य सरकार के भी राजस्व की बचत होगी।

 

 

नैफेड अपने मूल उद्देश्यों से भटक कर बिचौलियों का गढ़ बन गया: उचित शर्मा

जानकर सामाजिक कार्यकर्त्ता उचित शर्मा का कहना है कि छत्तीसगढ़ में नाफेड अपने मूल कार्यों से भटक गया है.

जबकि नाफेड का उद्देश्य होता है कि वह किसानों को लाभ पहुंचाने की दिशा में बेहतर काम करें, लेकिन विडंबना की

बात है कि नाफेड अब बिचौलियों का गढ़ बन गया है. नाफेड अगर किसानों का हित और सरकार की राजस्व बढ़ोत्तरी

करना चाहता है तो सर्वप्रथम वह अपने मूल उद्देश्यों को याद रखे.

 

 

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