टीआरपी डेस्क। भारत में पहली बार कई लोगों ने सोशल मीडिया पर ‘विपश्यना’

शब्द की गूंज इससे पहले तब सुनी थी, जब 2015 में खबर आई थी कि कांग्रेस नेता

राहुल गांधी इस ध्यान साधना के लिए यूरोप गए हैं।

 

अब ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी ने कहा है कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपना तीसरा

10 दिवसीय विपश्यना प्रोग्राम पूरा किया।

 

बकौल डॉर्सी, ‘यह कठिन जरूर है, लेकिन बेहतरीन काम है, जो मैं खुद के लिए करता हूं।’

 

विपश्यना को लेकर मोटे तौर पर लोग यही जानते हैं कि इससे एकाग्रता बढ़ती है और मन

शुद्ध होता है, लेकिन इस  बौद्ध योग साधना के और भी कई फायदे हैं।

 

जानिए इनके बारे में –

विपश्यना का शाब्दिक अर्थ है, ‘देखकर लौटना’ यानी ‘आओ, देखो और फिर मानो।’ कहा

जाता है कि हजारों साल पहले बुद्ध ने विपश्यना के माध्यम से ही बुद्धत्व को हासिल किया था।

इस तरह विपश्यना बौद्ध ध्यान साधना का सबसे पुराना रूप है।

 

श्रीलंका के बौद्ध भिक्षु भंते हेनपोला गुणरत्ना ने एक लेख में लिखा है, ‘ध्यान की यह विधि सीधे

सतीपत्तन सुत्त से आती है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह स्वयं भगवान बुद्ध द्वारा सिखाई

गई थी। विपश्यना दिमाग को प्रशिक्षित करने की एक प्रणाली है। यह साधक को जीवन के

अनुभवों के प्रति अधिक जागरूक बनाती है। ’

 

कैसे होती है विपश्यना

आदर्श रूप से विपश्यना का अभ्यास बिल्कुल शांत स्थान पर किया जाना चाहिए। इसके लिए

शुरू में ज्यादातर लोग कोई रमणीय स्थल, एकदम शांत जगह और एक जानकार मार्गदर्शक

की आवश्यकता होती है।

 

जमीन पर बैठ जाएं। कमर सीधी रखें, लेकिन किसी तरह का तनाव नहीं होना चाहिए, यानी

ध्यान करते समय शरीर आराम की मुद्रा में रहे। जब शरीर पूरी तरह रिलैक्स हो जाए तो सांस

पर ध्यान देना शुरू करें। ध्यान अच्छी तरह केंद्रीत करने पर व्यक्ति यह पता लगा पाएगा कि

सांस नाक के किस छिद्र से अंदर आ रही है और किस छिद्र से बाहर निकल रही है।

 

शुरू-शुरू में मन का भटकना स्वाभाविक है और इससे निपटने का सबसे अच्छा तरीका है सांस

पर ध्यान केंद्रीत करना। नियमित रूप से इसका अभ्यास किया जाए तो असर महसूस होने लगता

है।

 

विपश्यना कब करना चाहिए आमतौर पर यह साधना सुबह और शाम के समय की जाती है। कहा

जाता है कि एक बार में कम से कम एक घंटा जरूर देना चाहिए। जिन लोगों के पास वक्त की कमी

है, वे सोने से पहले और जागने के बाद भी पांच-पांच मिनट के लिए ऐसा कर सकते हैं।

 

विपश्यना के नियम

विपश्यना करने से पहले व्यक्ति को खुद को इसके लिए तैयार करना होता है। मानसिक तौर पर तैयार

हुए बिना इस साधना को करने का कोई फायदा नहीं।

 

विपश्यना के पांच सिद्धांत बताए गए हैं, जिनका पालन बहुत जरूरी है। ये हैं – हिंसा न करना, ब्रह्मचर्य

का पालन, नशे से दूर रहना, चोरी नहीं करना और वाणी पर नियंत्रण रखना यानी किसी के प्रति अप

शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना।

 

विपश्यना कितनी प्रभावी है, अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दुनिया की जानी-मानी हस्तियां

इसका इस्तेमाल कर रही हैं। यह विद्यार्थियों और दिन भर तनाव में रहकर काम करने वालों के लिए

फायदेमंद है।

 

तनाव, डायबिटीज समेत कई बीमारियों का इलाज है विपश्यना

मेडिकल जर्नल ‘डायबिटीज एंड इट्स काॅम्पलीकेशन्स’ में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, विपश्यना

से डायबिटीज (मधुमेह) को कंट्रोल किया जा सकता है। साथ ही अत्यधिक तनाव और मानसिक थकान

के कारण होने वाले रोगों से भी मुक्ति मिलती है। विपश्यना करने वाले को कभी अनीद्रा की स्थिति का

सामना नहीं करना पड़ता है।

 

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