टीआरपी डेस्क। बजाज ग्रुप के चेयरमेन और मशहूर बिजनेसमैन राहुल बजाज का हालिया एक निर्भीक

बयान काफी सुर्ख़ियों में छाया हुआ है। राहुल बजाज ने जिस तरह गृह मंत्री अमित शाह के सामने वर्तमान

में “देश में डर का माहौल और लोग सरकार की आलोचना करने से डर रहे” मुद्दे को लेकर अपनी राय रखी,

इसके बाद उनके बयान पर जमकर सियासत देखने को मिल रही है। वैसे राहुल के इस बयान की ना निंदा

हो रही है और नाहीं व्यावसायिक घरानों से कोई समर्थन मिलता दिख रहा है। हालांकि एक शख्श किरण

मजूमदार शाह ने बजाज के स्पष्टवादिता की जमकर सराहना की है। इधर कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दल

इस बयान को लेकर सत्तापक्ष को घेरने का प्रयास कर रहे हैं तो वहीँ सत्तापक्ष उन्हें कांग्रेस प्रेमी बताकर बयान

को राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं।

 

 स्वतंत्रता सेनानी जमनलाल बजाज के पोते हैं राहुल बजाज :

राहुल बजाज भारत के स्वतंत्रता सेनानी जमनलाल बजाज के पोते हैं। हावर्ड बिजनेस स्कूल से पढ़ाई की है

और दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में पढ़ने के साथ गर्वनमेंट लॉ कॉलेज के भी छात्र रहे हैं। साल 1965 में

उन्होंने बजाज समूह की कमान संभाली थी। अटल सरकार में 2001 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया

गया था। वहीं 2006 में महाराष्ट्र से निर्दलीय सांसद के रूप में चुनकर राज्यसभा पहुंचे थे। राहुल बजाज ने

81 वर्ष में राष्ट्रीय दायित्व का निर्वहन करते हुए जो बात कही, उसे स्वीकारते हुए सरकार को उनका भ्रम

दूर करना चाहिए आखिरकार बजाज वो व्यक्ति हैं, जिन्होंने अस्सी के दशक में अपने राष्ट्रप्रेम को अपने

विज्ञापन के जरिये दर्शाया “बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर”। ये पहला मौका नहीं जब राहुल ने सरकार की

आलोचना की हो, पूर्व में उन्होंने नरसिम्हा राव सरकार के औद्योगिक रिफार्म की भी सार्वजनिक निंदा की थी।

 

राहुल बजाज जैसे कारोबारी से ये उम्मीद तो की ही जानी चाहिए कि कोई भी सरकार हो यदि समस्या है तो

साफ-साफ सार्वजनिक तौर पर बोलें। वैसे राहुल बजाज गांधी के पांचवें पुत्र कहे जाने वाले जमनालाल बजाज

के पोते हैं, जिन्होंने आजादी के आंदोलन में सरकार द्वारा दी गयी उपाधि लौटा दी थी। साथ ही बनारस हिन्दू

विश्वविद्यालय के पुस्तकालय के लिए 48,000 रुपये की आर्थिक सहायता देकर जामिया विश्वविद्यालय को

भी बचाया।ऐसे देशभक्त परिवार के वंशज होने के कारण राहुल बिगड़ती अर्थव्यवस्था और गिरती विकास

दर के बावजूद उद्योग घराने की चुप्पी देखते हुए संभवतः इस प्रकार का बयान दिए होंगे।राष्ट्रहित में की गयी

बातों को गंभीरता से लेकर सरकार समाज का भ्रम दूर करें, तो राष्ट्र को एक बेहतर दिशा मिलेगी।

 

स्वतंत्र लेखक संदीप शर्मा

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