जगदलपुर/दंतेवाड़ा। बस्तर में जल जंगल और जमीन आदिवासी परिवारों की आय का मुख्य साधन है।

यहीं जंगल आदिवासी परिवारों का सहारा बने हुए हैं। इन वनों की देखरेख का जिम्मा वन विभाग का है।
लेकिन, वन विभाग के अफसर ही इन आदिवासियों के हक पर डाका डालने पर उतारू हो जाए तो आप
सोच सकते हैं उनकी माली हालत क्या होगी। ऐसा ही एक मामला बचेली रेंज में सामने आया है।
दरअसल दंतेवाड़ा जिला बचेली रेंज के अंतर्गत आने वाली गांव भांसी से निकट कमेली एवं नकुलनार
के पास मैलावाड़ा में वन विभाग के लिए कार्य कर रहे मजदूरों को सरकार द्वारा निर्धारित रोजी के
अनुसार उन्हें भुगतान नहीं किया गया है।
सरकार द्वारा निर्धारित मजदूरी 280 रुपए तय की गई है परंतु कार्य कर रहे मजदूर लक्ष्मी, गुंडई,
जगदीश एवं शंकर की माने तो उन्हें 200 रूपए रोजी का भुगतान रेंजर द्वारा किया जा रहा है। इस
संबंध में जब परिक्षेत्र अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई तो कोई जवाब नहीं मिला।
बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने वनों में रहने वाले आदिवासियों के लिए कई योजनाएं बनाई गई है,
परंतु बचेली सामान्य वन मंडल विभाग द्वारा योजनाओं को पलीता लगाया जा रहा है। ग्रामीणों का
कहना है मजदूरी का पूरा भुगतान नहीं किए जाने से उनके सामने रोजीरोट की समस्या पैदा हो गई है।
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