मांग: धर्म के आधार पर भेदभाव की संविधान इजाजत नहीं देता

नई दिल्‍ली। नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका गुरुवार को दाखिल

हो गई है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (Indian Union Muslim league) के चार सांसदों ने अपनी

याचिका में कहा कि धर्म के आधार पर वर्गीकरण की संविधान (Constitution) इजाजत नहीं देता।

CAB (Citizenship Amendment Bill) संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। इसलिए CAB को

रद्द किया जाए।

 

IUML (Indian Union Muslim League)ने अपनी याचिका में कहा है कि नागरिकता संशोधन बिल

(Citizenship Amendment Bill) संविधान (Constitution) के अनुच्छेद 14 (Article 14) के तहत

ट्वीन टेस्ट(Twin Test) पर खरा नहीं उतरता है। धर्म के आधार पर वर्गीकरण को संविधान की मूल भावना

के खिलाफ है। ये विधेयक संविधान में वर्णित सेक्युलरिज्म (Secularism) के मूल सिद्धांतों का हनन करता है।

4 सांसदों की तरफ से याचिका

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (Indian Union Muslim League) ने सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) में

दाखिल अपनी याचिका में कहा है कि धर्म के आधार पर वर्गीकरण की संविधान इजाजत नहीं

देता। ये बिल संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल लड़ेंगे केस

मुस्लिम लीग के सांसद पीके कुनहालकुट्टी ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि हमने कल बुधवार को संसद

से पास नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ केस फाइल कर दिया है। यह हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों

के खिलाफ है। यह संविधान के मूल भावना के बिल्कुल खिलाफ है और किसी को भी धर्म के आधार पर

इसको नष्ट करने नहीं दिया जाएगा। कुनहालकुट्टी ने कहा कि कैसे आप किसी अवैध घुसपैठ को मान्यता

देते हुए नागरिकता प्रदान कर सकते हैं। हमने अपने वकील के तौर पर कपिल सिब्बल को नियुक्त किया है।

मुस्लिम लीग (Muslim League) के सांसद ने नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill)

के पास होने को काला दिन करार दिया।

 

 

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