रायपुर। एक ओर राज्य सरकार वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राजधानी में ऑक्सीजन का

निर्माण करा रही है, वहीँ दूसरी ओर उन्हीं के सरकार के खाद्य मंत्री के बंगले को संवारने और सजाने

के लिए जीवनदायी पेड़ों की बलि दी जा रही है। दरअसल, इन दिनों सिविल लाइंस में प्रदेश के मुखिया

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निवास के सामने खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के सरकारी बंगले को सजाने

का काम खूब तेजी से चल रहा है।

 

मंत्रीजी के आशियाने को सराबोर करने की जद्दोजहद में इस कदर धड़ल्ले से पेड़ काटे जा रहें है, मानों

प्रकृति प्रेम के प्रति जवाबदेही खत्म होती जा रही हो। राज्य में चाहे किसी की भी सरकार बनें, सभी सत्ता

की कमान सँभालते ही वृक्षारोपण को सहेजने और संवारने के बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन ये दावे

महज नेताओं के भाषण में ही सिमट के रह जाते हैं। यही नहीं वृक्षारोपण के नाम पर योजना लाकर

लाखों-करोड़ों के वारे-न्यारे भी कर दिए जाते हैं।

 

आपको ये भी याद दिला दें कि नवा रायपुर में अगले साल तक राजभवन, मुख्यमंत्री निवास सहित मं​त्री और

अफसरों के बंगलों का निर्माण पूरी तेजी से होना है। एक साल में पूरी सरकार नवा रायपुर में शिफ्ट हो जाएगी।

ऐसे में केवल मंत्री के बंगले की शोभा बढ़ाने के लिए दशकों पुराने पेड़ों की बलि लेने से लोगों की जुबान पर

सवाल उठना लाजमी है।

 

इन सब के बीच चर्चा का विषय तो ये  है कि जब मंत्री जी ही अपने बंगले को सजाने के लिए पेड़ों की कुर्बानी

दिलवाएंगे, तो भला आम जनता के बीच के इसका क्या सन्देश जायेगा?

 

आइये जानते हैं इस पूरे मामले में एक्सपर्ट क्या कहते हैं ?

वृक्षों को बचाना जरूरी है काटना नहीं: ओपी अग्रवाल

राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित वृक्ष मित्र ओपी अग्रवाल का कहना है कि अगर खाद्य मंत्री के बंगले को सजाने के

लिए पेड़ों को काटने की अनुमति ली गयी है तो ये वैध है लेकिन यदि बिना अनुमति के पेड़ को काटे जा रहे हैं,

तो निश्चित तौर पर कार्यवाही होनी चाहिए। किसी भी हालत में वृक्षों को बचाना जरूरी है काटना नहीं।

 

सजावट के लिए पेड़ों को काटना बिल्कुल न्यायसंगत नहीं: मंजीत कौर बल

 

सामाजिक कार्यकर्त्ता मंजीत कौर बल का कहना है कि मंत्री बंगले के सजावट के लिए पेड़ों को काटना बिल्कुल

न्यायसंगत नहीं है. यदि सड़क निर्माण या अन्य जरूरी निर्माण कार्यों के लिए भी पेड़ काटे जाते हैं तो उसके भी

नियम-कानून-शर्तें होती है, लेकिन बंगले की सजावट के लिए पेड़ काटना ये कतई उचित नहीं है। बिना विकल्प

के पेड़ काटना ही नहीं चाहिए। पेड़ ऐसे ही कटते रहे तो यहां भी दिल्ली जैसी स्थिति निर्मित हो जाएगी।

 

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