केंद्र को नोटिस, अब 22 जनवरी को सुनवाई

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती देने वाली 59 याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम

कोर्ट में सुनवाई हुई। शीर्ष कोर्ट ने कानून लागू करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। अब 22

जनवरी को सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुआई वाली बेंच ने याचिकाओं पर केंद्र

सरकार को नोटिस दिया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल)

और असम गण परिषद समेत कई लोगों ने ये याचिकाएं दायर की थीं।

 

चीफ जस्टिस बोबडे ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा कि वकील अश्विनी उपाध्याय ने एक

अनौपचारिक निवेदन किया है कि वे जामिया मिलिया इस्लामिया जाकर छात्रों को नागरिकता कानून

के बारे में समझाना चाहते हैं। क्या आप कानून को लोगों को बताने की अनुमति देते हैं।  इस पर

वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार को कानून को प्रकाशित करने का अधिकार है।

 

नागरिकता संशोधन बिल पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर को हस्ताक्षर कर दिए थे। कानून के

मुताबिक, 2014 तक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से प्रताडि़त होकर आए गैर-मुस्लिमों

(बौद्ध, जैन, ईसाई, पारसी) को नागरिकता मिल सकेगी।

याचिकाओं में क्या कहा गया

याचिकाओं के मुताबिक नागरिकता देने के लिए धर्म को आधार नहीं बनाया जा सकता, जबकि नया कानून

संविधान के आधारभूत ढांचे का उल्लंघन करता है। नया कानून अवैध रूप से आए शरणार्थियों को धर्म के

आधार पर नागरिकता देने की बात कहता है। यह जीवन और समानता के मूल अधिकार का उल्लंघन है।

 

याचिकाओं में यह भी कहा गया है कि कानून से देश का धर्मनिरपेक्ष का सिद्धांत भी प्रभावित होगा। सरकार

का दायित्व है कि वह सभी धर्मों के लोगों से समान व्यवहार करे।

देशभर में प्रदर्शन

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देशभर में प्रदर्शन जारी हैं। मंगलवार को दिल्ली के सीलमपुर इलाके में

विरोध के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव की स्थिति बनी। प्रदर्शन में आगजनी और पथराव

के बाद पुलिस ने बल प्रयोग भी किया। हालांकि, पुलिस ने शाम शाम होते-होते हालात पर काबू पा लिया।

 

शाम को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी विपक्ष के प्रतिनिधिमंडल के साथ राष्ट्रपति से मिलीं। उन्होंने कहा- छात्रों पर

पुलिस की कार्रवाई ज्यादती है। केंद्र सरकार आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। तृणमूल और सपा ने राष्ट्रपति

से अपील की कि केंद्र को कानून वापस लेने का निर्देश दें। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, केरल के सीएम

पिनरई विजयन और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पहले ही साफ कर चुके हैं कि वे अपने राज्यों में नागरिकता

कानून और नेशनल सिटिजनशिप रजिस्टर (एनआरसी) को लागू नहीं करेंगे।

 

CAA पर विरोध की काली सच्चाई,कौन जला रहा है देश | The Rural Press |

 

 

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