रांची/रायपुर। झारखंड विधानसभा चुनाव में वोटिंग के बाद आए एग्जिट पोल में ज्यादातर खबरी चैनल

प्रदेश में जेएमएम.कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनाने के दावे कर रहे थे, जो अनुमानों पर खरे साबित

हुए। वहीं बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा।

 

लेकिन, इन सबके बीच मुख्यमंत्री रघुवर दास को चुनौती देने वाले सरयू राय की बड़ी जीत इस वक्त की

सबसे बड़ी खबर साबित हो रही है। जमशेदपुर पूर्वी सीट भाजपा के बागी और पूर्व मंत्री सरयू राय की

निवृतमान मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ 4 हजार मतों से ज्यादा की जीत भाजपा आलाकमान के लिए

सबक तो है ही साथ ही ये साबित कर दिया हर जगह मनमानी कीमत पार्टी को सरकार गंवाकर चुकानी

पड़ सकती है।

 

आइए जानते हैं अदावत के पीछे की कहानी

बता दें कि इस साल फरवरी में खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह

को एक पत्र लिख रघुवर सरकार के कामकाज पर सवाल उठाया था। उन्होंने पत्र में लिखा था कि

भ्रष्टाचार के मामलों पर रघुवर सरकार की चुप्पी से वे आहत हैं और इस्तीफा देना चाहते हैं। यह पत्र

मीडिया तक भी पहुंच गया था।

 

सरयू राय ने पिछले दो साल में भ्रष्टाचार के कई मामलों पर रघुवर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया था,

लेकिन सरकार ने इनकी जांच कराने में दिलचस्पी नहीं दिखायी। सरयू राय इसी बात से नाराज थे। बाद

में भाजपा ने उनकी टिकट काट दी।

कंबल घोटाला का मामला उठाकर आए थे चर्चा

सरयू राय बहुत पहले से भ्रष्टाचार का मामला उठाते रहे हैं। चारा घोटाला मामला को कोर्ट तक पहुंचाने में

उन्होंने प्रमुख भूमिका अदा की थी। उन्होंने 2018 में रघुवर दास को पत्र लिख कर कहा था कि पशुपाल

घोटाला की तरह ही झारखंड में कंबल घोटाला हुआ है जिसकी सीबीआइ जांच करायी जानी चाहिए। इसके

अलावा उन्होंने रांची ड्रेनेज सिस्टम निर्माण में घपला, भवन निर्माण टेंडर में गड़बड़ी और प्रशासनिक भ्रष्टाचार

के मामले उठाये थे। इन बातों को लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास और खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय में अनबन थी

तो अदावत में बदल गयी। इस सियासी अदावत का क्लाइमेक्स अब सबके सामने है।

 

अमित शाह ने किया था निष्किासित

आपको बता दें कि सरयू राय को हाल ही में बीजेपी ने विधिवत रुप से पार्टी से निष्काषित कर दिया है। दिल्ली में जब

उम्मीदवारों को टिकट दिए जाने की घोषणा की जा रही थी उस समय अमित शाह ने सरयू राय को टिकट ना देने के

कई कारण बताए थे जिसपर खुद बीजेपी सहित दूसरी पार्टी के कई नेताओं ने आश्चर्य व्यक्त किया था।

नीतिश कुमार और सरयू राय रह चुके हैं सहपाठी

बिहार के बक्सर में 16 जुलाई 1951 को जन्मे 68 वर्षीय सरयू राय छात्र राजनीत से निकलकर देश की राजनीति में आए।

पटना यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी करने के दौरान ही उनका रुझान राजनीति की ओर बढ़ा। यूनिवर्सिटी में बिहार के

वर्तमान सीएम नीतिश कुमार और सरयू राय सहपाठी हुआ करते थे, यही कारण है कि इन दोनों की दोस्ती आज भी वैसी

की वैसी ही है।

 

उस समय नीतिश समाजवादी युवजन सभा में थे जबकि सरयू राय अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में थे। यहां तक कि 10

साल पहले जब सरयू राय बीजेपी से चुनाव हार गए थे तब भी बकौल नीतिश कुमार उन्होंने राय को बिहार की राजनीति में

आने का न्योता दिया था लेकिन उस समय सरयू राय बीजेपी छोड़ने के मूड में नहीं थे।

और जानें

जदयू और भाजपा को करीब लाने में रही भूमिका, बिहार के सीएम नीतीश कुमार से हैं बेहतर ताल्लुकात चारा घोटाले को

उजागर किया था। इस संदर्भ में उनके द्वारा लिखित पुस्तक चारा चोर, खजाना चोर चर्चित रही है। साइंस कालेज, पटना के

मेधावी छात्र रहे हैं, 74 के जेपी आंदोलन के प्रमुख नेताओं में शामिल। मधु कोड़ा लूटकांड भी इनकी चर्चित पुस्तक, मधु

कोड़ा द्वारा किए गए घोटालों को उजागर किया था। पर्यावरणविद भी हैं सरयू राय, दामोदर नदी को प्रदूषण मुक्त करने में

कामयाबी पाई। संसदीय मामलों के जानकार हैं।

 

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