टीआरपी डेस्क। झारखंड चुनाव की मतगणना जारी है। अगर त्रिशंकु विधान सभा की स्थिति हुई तो आजसू

के अध्यक्ष सुदेश महतो, झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी किंगमेकर बन सकते हैं।

कौन हैं सुदेश महतो

19 साल पहले साल 2000 में झारखंड को अस्तित्व में आने के बाद अब तक एक भी ऐसी सरकार नहीं बनी, जिसमें

सुदेश महतो की भागीदारी न हो। सरकार चाहे किसी की बने, लेकिन सुदेश की पार्टी से कोई न कोई नेता मंत्रिमंडल

में शामिल रहा। रघुबर दास की सरकार में भागीदार रहे सुदेश महतो ने अकेले चुनाव लड़ा। वह चुनाव से ठीक पहले

सीटों के मसले पर तालमेल नहीं हो पाने के बाद अपनी राह अलग कर ली।

पूर्व मुख्यमंत्री मरांडी

कभी भाजपा के आदिवासी नेता के सबसे बड़े चेहरे के रूप में गिने जाने वाले बाबूलाल मरांडी पर भी निगाहें रहेंगी। वह

झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने, लेकिन मरांडी ने 2006 में भाजपा से किनारा कर झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया

था। मरांडी की पकड़ शहरी के साथ ही आदिवासी मतदाताओं में भी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को

मिली करारी शिकस्त के बाद उन्होंने अपनी पार्टी को कांग्रेस गठबंधन से अलग

कर लिया था।

भाजपा सरकार गठन में आजसू से लेगी मदद

रुझानों पर अगर भरोसा करें तो भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने की स्थिति नहीं बन रही है। ऐसे में भाजपा को

गठबंधन सरकार बनाने की दिशा में आगे बढ़ना होगा। फिर भाजपा के साथ सबसे नजदीकी सत्ता साझीदार रहे आजसू

पर केसरिया पार्टी की नजर जाएगी। विधानसभा चुनाव में गठबंधन टूटने के बावजूद भाजपा ने चुनाव बाद की संभावनाओं

के मद्देनजर ही आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो के खिलाफ सिल्ली से उम्मीदवार नहीं उतारा। आजसू ने भी रघुवर दास के

खिलाफ उम्मीदवार नहीं दिया। चुनावी बिसात पर चले गए सियासी शालीनता के ऐसे मोहरे मतगणना के बाद भाजपा को

सत्ता की सीढ़ी चढ़ाने में सहायक हो सकते हैं। भाजपा दूसरी संभावना सत्ता में साझीदार बनने के लिए झाविमो में टटोल

सकती है। हालांकि, झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी अभी तक किसी भी हाल में भाजपा के

साथ जाने से इनकार करते रहे हैं।

 

Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें 

Facebook पर Like करें, Twitter पर Follow करें  और Youtube  पर हमें subscribe करें।