
रायपुर। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में भाग लेकर बेलारूस के लोक नृत्य की छटा बिखेरने बेलारूस
के कलाकार आज छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंच गए हैं। लगभग सात हजार किलोमीटर की दूरी
तय कर 10 सदस्यीय कलाकार दल राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में भाग लेने पहली बार छत्तीसगढ़
पहुंचा है। उनके नृत्य दल ने कनाडा, ग्रीस, अल्जीरिया, इस्पेन, जर्मनी, इटली, रशिया सहित कई देशों
में प्रस्तुति दी है।
छत्तीसगढ़ की मेहमान नवाजी से हुए प्रभावित
नृत्य दल की सदस्य सुश्री एलीसा ने बताया कि छत्तीसगढ़ की मेहमान नवाजी और यहां
मिले अपनेपन और देखभाल से कलाकार बहुत प्रभावित हैं। बेलारूस और छत्तीसगढ़ की संस्कृति
आवभगत में समान है। बेलारूस की तुलना में यहां का खाना थोड़ा तीखा है पर उन्हें स्वादिष्ट लगा।
कलाकार दल ने यहां के खान-पान की तारीफ करते हुए खुद बेलारूशिन पेनकेक बनाकर सबको
खिलाने की इच्छा भी जाहिर की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में भाग लेने के
लिए उनका दल बहुत उत्साहित है।
राष्ट्रीय लोक नृत्य ‘लेवोनिखा’ करेंगे प्रस्तुत
सुश्री एलीसा ने बताया कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में वे राष्ट्रीय लोक नृत्य ‘लेवोनिखा’ प्रस्तुत करेंगे।
‘लेवोनिखा’ के माध्यम से दर्शक राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य समारोह में बेलारूस की सांस्कृतिक लोक कला को
संगीत और नृत्य के माध्यम से देख सकेंगे। यह नृत्य प्रेम का प्रतीक है जो उत्सव, विवाह संस्कार
में खुशी जाहिर करने के लिए किया जाता है। नृत्य प्रस्तुति के समय कलाकार एक विशेष कपड़ा
हाथों में लिए रहते हैं। यह कपड़ा बेलेरूशियम लीनन से बनाया जाता है, जिसमें हाथ से कढ़ाई की
जाती है। इसे विदाई के समय सुरक्षा और प्रेम के प्रतीक स्वरूप प्रियजनों को दिया जाता है। कपड़े में
लाल रंग से गोलाई लिए आकृतियां बनाई जाती है। इसमें गोल आकृति जीवन चक्र और लाल रंग सुरक्षा
का प्रतीक होता है। उन्होंने बताया कि उनके नृत्य दल के कलाकार गृहणी, स्कूली छात्र, इंजीनियर,
कोरियोग्राफर भी हैं। बेलारूस में उनके नृत्य दल में तीन साल से लेकर 70 साल तक के आयु के कलाकार
शामिल हैं।
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