टीआरपी न्यूज। केंद्रीय बजट से पहले सरकारी बैंकों के शीर्ष अधिकारियों के साथ एक

समीक्षा बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रुपे कार्ड तथा यूपीआई ट्रांजैक्शंस पर

मर्चैंट डिस्काउंट रेट शुल्क का वहन सरकार द्वारा करने की घोषणा की। जनवरी से 50

करोड़ रुपए से अधिक टर्नओवर वाली तमाम कंपनियों को अपने ग्राहकों को बिना

किसी एमडीआर शुल्क के डेबिट कार्ड तथा यूपीआई क्यूआर कोड के जरिये

भुगतान की सुविधा उपलब्ध करानी होगी।

 

जाने क्या है एमडीआर शुल्क :

जब कोई ग्राहक मर्चैंट के पॉइंट-ऑफ-सेल्स (POS) टर्मिनल से अपने डेविट कार्ड को स्वाइप

करता है तो मर्चैंट को अपने सर्विस प्रोवाइडर को एक शुल्क का भुगतान करना पड़ता है, जिसे

एमडीआर शुल्क कहते हैं। क्यूआर कोड आधारित ऑनलाइन लेनदेन पर भी एमडीआर

शुल्क देना पड़ता है।

 

 

तीन स्टेकहोल्डर्स में बंटता है एमडीआर :

हर ट्रांजैक्शन पर मर्चैंट जो भुगतान करता है, वह तीन स्टेकहोल्डर्स- लेनदेन की सुविधा देने

वाले बैंक, पीओएस मशीन लगाने वाले वेंडर तथा वीजा या मास्टरकार्ड जैसे कार्ड नेटवर्क

प्रोवाइडर्स के बीच बंटता है। क्रेडिट कार्ड पर एमडीआर शुल्क शून्य से लेकर ट्रांजैक्शन

अमाउंट का 2% तक हो सकता है।

 

बजट में की थी घोषणा :

अपने पहले बजट में वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा था कि 50 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाली

कंपनियों को अपने ग्राहकों को कम लागात वाले भुगतान के डिजिटल माध्यमों की सुविधा

उपलब्ध करानी होगी और ट्रांजैक्शंस पर आने वाली लागत बैंक वहन करेंगे।

सीतारमण एक फरवरी, 2020 को अपना पहला बजट पेश कर सकती हैं।

 

 

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