नए साल और दशक के लिए एक संकल्प लें

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल के आखिरी रविवार को 60वीं बार रेडियो कार्यक्रम मन

की बात को संबोधित किया। उन्होंने देशवासियों को नए साल की शुभकामनाएं दीं। मोदी ने कहा

कि हमारे देश के युवाओं को अराजकता पसंद नहीं है। उन्होंने कहा कि अव्यवस्था और अस्थिरता

के प्रति देश के युवा के मन में चिढ़ है।

 

वे परिवारवाद, जातिवाद, अपना-पराया, स्त्री-पुरुष में भेदभावों को पसंद नहीं करते हैं। नई पीढ़ी

आधुनिक है। नए साल और दशक के लिए एक संकल्प लेना चाहिए। प्रधानमंत्री ने लोगों से लोकल

प्रोडक्ट्स खरीदने का आग्रह भी किया है।

 

मोदी ने कहा कि हम 2 दिन बाद 21वीं सदी के तीसरे दशक में प्रवेश करेंगे। हमारे देश के युवाओं

को अराजकता के प्रति नफरत है। वे जातिवाद, अपना-पराया, स्त्री पुरुष इन भेदभावों को पसंद

नहीं करते। हम देखते हैं कि अगर कोई सिनेमा एयरपोर्ट में कतार के बीच में घुस जाता है तो युवा

उसे सबसे पहले टोकते हैं। युवाओं में नए प्रकार की व्यवस्ता और सोच परिलक्षित करती है।

 

स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि मेरा भरोसा युवा पीढ़ी पर है। इस आधुनिक जेनरेशन में है। उन्होंने

विश्वास जताया था कि इन्हीं में से मेरे लोग निकलेंगे। युवावस्था सबसे अहम कालखंड होता है। आपका

भविष्य और जीवन इस पर निर्भर करता है कि आप युवावस्था का इस्तेमाल कैसे करते हैं। मुझे विश्वास

है कि भारत में यह दशक न केवल युवाओं के विकास का होगा, बल्कि युवाओं का विकास करने वाला

साबित होगा। 12 जनवरी को विवेकानंद जयंती पर इस दशक में अपने दायित्वों पर चिंतन करें और नए

दशक में संकल्प लें।

लोगों से लोकल प्रोडक्ट्स खरीदने की अपील की

उत्तर प्रदेश के फूलपुर में कुछ महिलाओं ने अपनी जीवटता से हर किसी को प्रेरणा दी है। कुछ समय पहले

तक फूलपूर की यह महिला गरीबी से परेशान थीं। लेकिन इनमें अपने परिवार को आगे ले जाने का जज्बा

था। महिलाओं ने चप्पल बनाने का काम शुरू किया। इससे महिलाओं ने न सिर्फ अपने राह का कांटा दूर

किया, बल्कि खुद को आत्मनिर्भर बनाया।

 

लोगों ने महिलाओं से चप्पलें खरीदकर उनकी मदद की। मैंने लालकिले से 15 अगस्त को आग्रह किया था कि

हम लोकल चीजें खरीदें। मेरा फिर से आग्रह है कि हम लोकल प्रोडक्ट्स को अपनी शान और प्रतिष्ठा से जोड़

सकते हैं, क्या हम इन्हें खरीदकर लाखों के जीवन में समृद्धि ला सकते हैं। क्या हम लोगों को आत्मनिर्भर बना

सकते हैं।

 

2022 को हम आजादी के 75 साल पूरे करेंगे। क्या हम संकल्प कर सकते हैं कि कम से कम यह दो तीन साल

स्थानीय उत्पाद खरीदने के आग्रही बने। जिन चीजों में हमारे लोगों के पसीने की महक हो उसे खरीदने का संकल्प

कर सकते हैं। यह काम सिर्फ 2-3 साल तक करें। छोटो-छोटे संगठन बनाएं और संकल्प लें कि हम लोकल

खरीदेंगे, स्थानीय चीजों को महत्व देंगे। देश के नागरिक आत्मनिर्भर बनें और सम्मान के साथ जीवनयापन करें यह

हमारी जरूरत है।”

 

जम्मू कश्मीर के कार्यक्रम ने प्रभावित किया

जम्मू कश्मीर के हिमायत प्रोग्राम ने मेरा ध्यान खींचा। यह कौशल विकास और रोजगार से जुड़ा है। इसमें 35 वर्ष

तक के लोग शामिल होते हैं। इसमें वे शामिल होते हैं जिन्हें बीच में अपनी पढ़ाई बीच में छोडऩी पड़ी। मुझे खुशी है

कि इस कार्यक्रम में 18 हजार लोगों ने ट्रेनिंग ली। इनमें से 5 हजार लोग तो रोजगार कर रहे हैं और दे रहे हैं। हिमायत

लोगों के बीच बेहतरीन तालमेल का उदाहरण है। इसने कश्मीर के युवाओं के बीच आत्मविश्वास बढ़ाया और उनका

आगे का मार्ग प्रशस्त किया।

खगोल विज्ञान से भारत का गौरवशाली नाता है

हमने 26 दिसंबर को दशक का आखिरी सूर्यग्रहण देखा। तमाम युवा साथियों की तरह मैं भी सूर्यग्रहण देखने निकला।

लेकिन अफसोस की दिल्ली में उस दिन आसमान में बादल छाए हुए थे। हालांकि, टीवी में कोझिकोड और बाकी जगह

कुछ अच्छी तस्वीरें देखने को मिलीं। ग्रहण हमें याद दिलाते हैं कि हम पृथ्वी पर रहने के बावजूद अंतरिक्ष में घूम रहे हैं।

 

भारत में एस्ट्रोनॉमी यानी खगोल विज्ञान का प्राचीन और गौरवशाली इतिहास रहा है। आर्यभट्ट ने सूर्यग्रहण के साथ चंद्रग्रहण

की व्याख्या की है। उन्होंने मैथमैटिकली बताया कि चांद की शैडो का कैल्कयुलेशन कैसे करें। उनके शिष्यों ने इसे आगे बढ़ाने

का काम किया। केरल में संगमग्राम के माधव ने ग्रहों की गणना करने का काम शुरू किया।

 

2016 में बेल्जियम के तत्कालीन प्रधानमंत्री और मैंने देवस्थल टेलिस्कोप का उद्घाटन किया था। इसे एशिया का सबसे बड़ा

सैटेलाइट कहा जाता है। सूर्य की स्टडी के लिए इसरो आदित्य नाम का सैटेलाइट लॉन्च करने वाला है। आज युवा वैज्ञानिकों में

इतिहास के साथ एस्ट्रोनॉमी के भविष्य के प्रति दृढ़ता दिखती है। कई लोग अमेच्योर टेलिस्कोप को अपनी छत या खिड़की पर

लगाते हैं।

संसद में काम का रिकॉर्ड टूटा, आपके प्रतिनिधि बधाई के पात्र

आपने जिन प्रतिनिधियों को चुनकर संसद भेजा है। उन्होंने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। लोकसभा ने 114त्न काम किया। राज्यसभा ने

95त्न काम किया। सभी सांसद इसके लिए अभिनंदन के हकदार हैं। जिनको आपने चुनकर भेजा है उन्होंने 60 साल के सारे

रिकॉर्ड तोड़ दिए।

 

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