रायपुर। छत्तीसगढ़ में तीन दिन तक चले राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के समापन समारोह

में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ी घोषणा की। सीएम ने कहा कि अब राज्योत्सव के साथ तीन

दिन तक राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव भी होगा। मुख्यमंत्री ने जनता से पूछा कि हर साल इस

तरह का आयोजन होना चाहिए या नहीं।

 

जब भीड़ ने हां कहा तो मुख्यमंत्री ने कहा कि हर साल एक नवंबर को राज्योत्सव पहले दो दिन

मनाया जाएगा। बाकी तीन दिन देश-विदेश के आदिवासियों के साथ राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य

महोत्सव मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने अपने भाषण की शुरुआत में पूछा-कइसे लागिस, जवाब

आया, मजा अइस। बघेल ने समापन समारोह का पूरा भाषण भी छत्तीसगढ़ी में ही दिया।

 

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि जब इस आयोजन के बारे में सोचा तो मन मे शंकाएं थी, डर था कि

कैसे होगा। सबका साथ मिला और हमने आयोजन किया। उसका परिणाम यह है कि 25 राज्य,

तीन केंद्र शासित प्रदेश और छह देश के लोग आए। ठंड होने के बावजूद सुबह नौ बजे से भीड़

रहती है। आयोजन का पहला साल था। कहीं कुछ कमी रही होगी तो उसे आने वाले साल में पूरा

करेंगे।

 

इस आयोजन से हमें बहुत कुछ देखने और सीखने को मिला है। हमें दुनिया भर की आदिम संस्कृति

को जानने का अवसर मिला है। निश्चित तौर पर आदिवासियों की कला और संस्कृति बेहद समृद्ध है।

 

मैं यकीन से कह सकता हूं कि छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति कितनी प्राचीन है, यह आज इस मंच

से दुनिया ने भी देख लिया है।

एक साल में बदल गई छत्तीसगढ़ की पहचान

बघेल ने कहा कि पिछले 15 साल से हमने देखा कि जब नक्सली घटना होने थी, तब छत्तीसगढ़ का नाम

आता था। लेकिन एक साल में छत्तीसगढ़ को कर्ज माफ करने, 2500 स्र्पये में धान खरीदने के नाम पर

जाना जाता है। पुरखों ने समृद्ध छत्तीसगढ़ की कल्पना की थी, जिसे एक साल में पूरा करने का काम

किया गया। आज न केवल देश, बल्कि सरहद पार भी लोग छत्तीसगढ़ का नाम जान रहें है। यही एक साल

का बदलाव है।

 

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