टीआरपी न्यूज: छतरपुर जिले के नैनागिरी तीर्थ में जैन साध्वी आर्यिका सुनय मति माताजी ने आग से घिरने

के बाद भी अपनी साधना नहीं छोड़ी। करीब 90 प्रतिशत जल जाने के बाद जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया

तो उन्होंने वहां समाधि ले ली।

 

जानकारी के मुताबिक नैनागिर में सुनय मति माताजी साधना कर रहीं थी। इसी दौरान कमरे में रखी सिगड़ी से

पर्दे ने आग पकड़ ली और फिर इसके बाद जिस चटाई को लपेटकर वे साधना कर रही थी उसने भी आग पकड़

ली। उनकी साधना खत्म होने में थोड़ा समय था, इसलिए वे आग लगने के बाद भी साधना में लीन रही। कुछ ही देर

में चटाई की आग उनके वस्त्रों तक पहुंच गई और पूरी तरह से उन्हें चपेट में ले लिया।

साधना खत्म होने के बाद जब आर्यिका सुनय मति माताजी ने चटाई से आग को अलग करने की कोशिश

की तो उनकी त्वचा भी शरीर से अलग हो गई। आग को देख श्रावक वहां पहुंचे और उन्हें देखकर घबरा

गए, इसके बाद तुरंत ही उन्होंने आर्यिका सुनय मति माताजी को उठाया और अस्पताल लेकर पहुंचे।

 

उधर साध्वी ने कहा कि वे समाधि लेना चाहती हैं, इसके बाद उन्होंने समाधि ले ली। धर्म के प्रति उनके इस

समर्पण की लोग चर्चा कर उन्हें प्रणाम करते रहे। सभी का यही कहना है कि जिस आग से लोग डरकर

भागते हैं, उससे घिर जाने के बाद भी साध्वी ने अपनी साधना नहीं छोड़ी।

आचार्य विद्यासागर महाराज की शिष्‍या थीं

आर्यिका सुनयमति माताजी करीब 39 वर्ष पहले आचार्य विद्यासागर महाराज से ब्रह्मचर्य व्रत लिया था। वे

आचार्य विद्यासागर महाराज की परम शिष्या थीं। वे काफी बुजुर्ग थी और चलने फिरने में भी असमर्थ थी।

इसलिए वे कहीं भी व्हीलचेयर पर जाती थीं।

 

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